आत्मजा
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* आत्मजा खंडकाव्य से अध्याय-१० आइ.ए.एस. बनने का सपना, अपने से हो चला हताहत जहाँ प्यार की बजी दुंदुभी, सिमट गई उसकी हर चाहत। फिर भी था संकल्प हृदय में, काम नया कर दिखलाने का जो न सहज कर पाती बेटी, ऐसा ही कुछ कर जाने का। तुरत पुस्तकों में लग जाती, … Read more