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मैं बस चौकीदार

डॉ.विभा माधवी
खगड़िया(बिहार)

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जिसने पहुंचाया तुम्हें,सत्ता का दरबार।
तुमने दुत्कारा उसे,दुश्मन का बन यार॥
दुश्मन का बन यार,जभी मैदां में आया।
देशभक्त ने टाँग,खींचकर मजा चखाया।
समझ न आई बात,हराया उसको किसने।
निश्चित उसकी हार,अकड़ दिखलायी जिसने॥

देखो बोलूंगा यहां,मैं बस चौकीदार।
भीड़ कहेगी ‘चोर है’,जी मेरे सरकार॥
जी मेरे सरकार,नहीं ये मेरे चमचे।
यह जनता भगवान,कंध मोदी चढ़ हुमचे॥
तू छलिया है धूर्त,स्वयं की साजिश पे खो।
नहीं बनेगें मूर्ख,लोग,पथ दूजा देखो॥

चमकी बन आयी कहर,लिये शताधिक प्राण।
तंत्र मूकदर्शक बना,देता तनिक न ध्यान॥
देता तनिक न ध्यान,विपद जब आती भारी।
है सरकारी तंत्र,निकम्मा हर अधिकारी॥
आरक्षण का वैद्य,न देता यम को धमकी।
इसीलिए हर बार,चली आती है चमकी॥

बैरी बन दिखला रहा,दुर्दिन यह आषाढ़।
कृषकों का दु:ख कर रहा,नित दिन प्रबल प्रगाढ़॥
नित दिन प्रबल प्रगाढ़,जेठ जब बीता सारा।
जोह रहा नित बाट,मेघ का,कृषक बिचारा॥
दिखता उनको रोज, गगन में उड़ते खैरी।
मेघ हुए हैं दूर,कृषक का बनकर बैरी॥

सावन के आते चले,कांवर ले शिवभक्त।
रात दिवस अंतर नहीं,चले सतत हर वक्त॥
चले सतत हर वक्त,राह में बम-बम बोले।
सबके माथ सहाय,दयानिधि बाबा भोले॥
बैठ हृदय में शभु,करें सबका मन पावन।
होते शंभु प्रसन्न,मास जब आता सावन॥

खाते चलिए रोज ही,राम-नाम की खीर।
फिर होगी हनुमत सरिस,तेरी भी तकदीर॥
तेरी भी तकदीर,चमक जाए बन कुंदन।
ज्यों राधा हैं धन्य,संग पाकर यदुनन्दन॥
करो कर्म निष्काम,राह में हँसते गाते।
जुड़ जाएंगे पुण्य,कर्म के जो भी खाते॥

जैसे दिन का भाग है,सुबह, दोपहर,शाम।
त्यों होता हर जीव के,जीवन का आयाम॥
जीवन का आयाम,न सबका एक समाना।
कुछ जन करे प्रयाण,शाम,कुछ सुबह रवाना॥
तय होता अघ,पुण्य,कर्म उनके थे कैसे।
घटता है सुख,पुण्य,घटेंगे जैसे-जैसे॥

परिचय-डॉ.विभा माधवी की जन्म तारीख १७ मार्च १९७३ एवं जन्म स्थान-बरौनी है। आप बिहार के जिला खगड़िया स्थित ग्राम चंद्रनगर में रहती हैं,जबकि स्थाई बसेरा जमशेदपुर में है। भाषा ज्ञान हिंदी तथा अंग्रेजी का है। राज्य झारखंड की मूल निवासी डॉ.माधवी ने एम.ए.(हिंदी),बी.एड. सहित पी-एच.डी.एवं नेट (हिन्दी में उत्तीर्ण)की शिक्षा प्राप्त की है। कार्यक्षेत्र में विद्यालय में शिक्षिका हैं। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत साहित्यिक गतिविधियों में भाग लेती रहती हैं। लेखन विधा-कविता, आलेख, संस्मरण,समीक्षा एवं गद्य की अन्य विधा है। रचना प्रकाशन कई पत्र-पत्रिकाओं में जारी है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा करना है। प्रेरणा पुंज-हिंदी की साहित्यिक पुस्तकें और विशेषज्ञता-हिंदी की गद्य विधा में लेखन है।

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