पिता तुम याद आते हो
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ ‘पिता का प्रेम, पसीना और हम’ स्पर्धा विशेष….. तुम्हारे प्यार से सिंचित,वो आँगन याद आता हैपिता तुम याद आते हो,तो बचपन याद आता है। मैं नन्हीं एक बच्ची थी,तो खुश सारा जमाना थान चिन्ता थी न पीड़ा थी,खिलौनों का खजाना था।रूठ कर जो मैं करती थी,वो अनशन याद आता है। वो बरसाती नदी-नाले,जो … Read more