पिता तुम याद आते हो

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ ‘पिता का प्रेम, पसीना और हम’ स्पर्धा विशेष….. तुम्हारे प्यार से सिंचित,वो आँगन याद आता हैपिता तुम याद आते हो,तो बचपन याद आता है। मैं नन्हीं एक बच्ची…

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चाहे जितने तीर चुभा रे…

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ मेरा दिल तूणीर पुराना,चाहे जितने तीर चुभा रे। एक तीर की पीड़ा ही तो,सहन न करता जग अलबेला।पर अनगिन तीरों की चोटें,सहता है तूणीर अकेला।बन जाये दिल तीर…

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आओ ऐ गणतंत्र दिवस

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष………. फिर पुकारती भारत माता,आओ ऐ गणतंत्र दिवसखेल दिखाओ फिर कुछ ऐसा,रोता मानव उठे विहँस। पुत्रों याद करो शुभ दिन जब,कटी गुलामी की बेणीमुझको भी…

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पेड़ लगाओ

विजय कुमार,अम्बाला छावनी(हरियाणा) ************************** राघव जी शहर के प्रतिष्ठित व्यापारी थे और सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहते थे। शहर में कई सामाजिक संस्थाओं के वह पदाधिकारी भी…

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संक्रान्ति-एक सीख

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष…. पुत्र से पिता मिले,शनि से सूर्य देवताद्वेष द्वन्द मिट गये,विश्व सकल देखता।सूर्य बैर भूल कर,शनि के नव घर गयेसारे ग्रह छोड़-छाड़,धनु से मकर गये।शांति…

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मन चंचल दिखलाऊँ

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************** कैसे तनदर्शी दर्पण को,अपना मन चंचल दिखलाऊँअपनी आँखों को अपनी ही,आँखों का काजल दिखलाऊँ। जागें आँखें तो देखें जग,सोयें तो देखें कुछ सपना।तन भी देखें मन भी देखें,पर…

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नारी-महत्व

विजय मेहंदीजौनपुर(उत्तरप्रदेश)**************************************** नारी तो है धरा जगत की,नारी से संसारनारी से है जन्म सभी का,नारी से अवतार।नारी से अस्तित्व हमारा,नारी से परिवारनारी से पोषण शैशव में,नारी गर्भ आधार।नारी असली सेवक…

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जगो मुसाफिर

विजय कुमारमणिकपुर(बिहार) ******************************************************** उठो सवेरे,जगो मुसाफिरदेखो सूरज निकल गया,चिड़िया अपने घर को छोड़मस्त पवन में खो गई। बाग-बगीचे,खेत-खलिहानहरे-भरे होने लगे,उठो सवेरे,जगो मुसाफिरदेखो सूरज निकल गया। प्रातः काल की अदभूत रंगपर्यावरण…

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भारत वन्दना

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************** जय जय जननी भारत धरणी,मेरा वन्दन स्वीकार करोभव सर तरणी सब दु:ख हरणी,जग जीवन का उद्धार करो। गंगा की अविरल धारा में, बहती है जिसकी कीर्ति अमर हिमगिरि…

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प्यार ऐसा न हो

विजय कुमारमणिकपुर(बिहार) ************************************************************* प्यार ऐसा न होकि मौत बन जाए,होंठों पे तेरा नाम…अंदर कुछ और हो जाए। इरादा जैसा भी होनजदीकी साफ नजर आए,रिश्ता पवित्र हो या न हो…पर दुल्हन…

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