विजय मेहंदी
जौनपुर(उत्तरप्रदेश)
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नारी तो है धरा जगत की,
नारी से संसार
नारी से है जन्म सभी का,
नारी से अवतार।
नारी से अस्तित्व हमारा,
नारी से परिवार
नारी से पोषण शैशव में,
नारी गर्भ आधार।
नारी असली सेवक सबकी,
नारी से आहार
नारी घर की गृहिणी होती,
नारी खेवनहार।
नारी पहली शिक्षक होती,
नारी विद्यालय-परिवार।
मुश्किल है नारी का वर्णन,
नारी-महिमा अपरम्पार॥