मृत्यु
विजयकान्त द्विवेदीनई मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************** मृत्यु तुम एक भयानक सत्य,जीवन वाक्यांश में पूर्ण विराम।परिवर्तन के परिपोषक तुम,निष्पक्ष मगर हो क्रूर नितान्त॥ बनाकर व्याधि को आधार,काटती पंच-प्राणों के तार।काया करती तुम निष्क्रिय,आत्मा…