आँसू बह कर क्या कर लेंगे!
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* आँखों में जो रहे न सुख से, आँसू बह कर क्या कर लेंगे। आवारा से निकल दृगों से, मुख पर आकर मुरझाएंगेl जब न मिलेगा कहीं ठिकाना, किए कृत्य पर पछताएंगेl मन की करें शिकायत मन से, तन से कह कर क्या कर लेंगेll किसके दृग इतने विशाल हैं, जो अनचाहे … Read more