आँसू बह कर क्या कर लेंगे!

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* आँखों में जो रहे न सुख से, आँसू बह कर क्या कर लेंगे। आवारा से निकल दृगों से, मुख पर आकर मुरझाएंगेl जब न मिलेगा कहीं…

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सफलता की कुंजी

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** निकला सोना आग से, रूप बदलता जाए... ज्यों-ज्यों उस पर चोट पड़े, और सुंदर हो जाए। बालक कहे कुम्हार से, कैसी मूरत दियो बनाए... जिस मिट्टी…

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प्यारी अपनी धरती है

डॉ.विजय कुमार 'पुरी' कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)  *********************************************************** प्यारी अपनी धरती है और प्यारा अपना देश है। हरे-भरे पेड़ों से सजता सुंदर ये परिवेश है॥ कुछ लोग यहाँ पर ऐसे हैं,…

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हिमालय की चोटी

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** हिमालय की ऊँची चोटी, छू के भी देखो लक्ष्य का पीछा, करके भी देखो। जीत होगी तुम्हारी, तुम मिल के भी देखो आगाज ये हमारा, बुलन्दी…

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तेरा कंगन खनके…

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** जब-जब तेरा कंगन खनके तब-तब मेरा दिल धड़के, सारे लम्हें और वो पलकें कैसे बीते हम न समझे। रात-रातभर नींद न आई जब भी आई तेरी…

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बदलती तस्वीर

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** कई सदियाँ बीत गई फूलों में महक न गई, सूरज में वही रोशनी- पर तपन न गई। चन्द्रमा की कंचन थाल पर अंधेरा भी थरथरा गया,…

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जीवन का संग्राम बहुत है

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* द्वंद्व करूँ क्या अधम मृत्यु से, जीवन का संग्राम बहुत है। क्षण-क्षण आते आँधी-पानी, पल-पल उठते यहाँ बवंडर चाहें कि उपजाऊ बगिया, बनती रेगिस्तानी बंजर। कितने…

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छब्बीस जनवरी बोली…

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष……… छब्बीस जनवरी बोली-बाकी है अभी लड़ाई, फैला जो कचरा उसकी,करना है हमें सफाई। ज्यों भागे कभी फिरंगी, हर दुश्मन डर कर भागे।…

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सारा विश्व करे गुणगान

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष……… अपना भारत अपना नाम सारा विश्व करे गुणगान, हम देते अपना बलिदान विश्व करें हमें सलाम। तिरंगे में लिपटा भी, हो जाए…

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आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* ‘आत्मजा’ खंडकाव्य अध्याय-२०....... कैसे कह दूँ आगन्तुक से, मुझे नहीं यह रिश्ता भाया मैं न अभी हो सका आधुनिक, वही करूँ जो चलता आया। आइएएस हों…

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