मैं धरा

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** एक लंबे समय से मैं धरा तुम सब जीव-जंतु,प्रकृति,पर्यावरण को अपने में समाहित किए मजे से जी रही हूँ। प्यारे-प्यारे मनुष्य,सुंदर फल-फूल,कल-कल संगीत सुनाती नदियां,विशाल पठार और कोमल दूब क्या नहीं संजोया मैंने अपने दामन में,सिर्फ तुम्हारे लिए! सोना-चांदी,कोयला-कथीर,खट्टे-मीठे और कड़वा स्वाद तक समेटा है,मैंने अपनी बगिया में। तुमने जैसा बीज … Read more

आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* ‘आत्मजा’  खंडकाव्य से,अध्याय-८ … बोली माँ पति से समझा कर, अब है समय नहीं सोने का खोजो वर सुयोग्य बेटी को, नहीं एक भी क्षण खोने का। हुई सयानी बेटी अपनी, लगी समझने वह सब बातें भावी के प्रति ही आकर्षण, बढ़ता ज्यों बढ़ती दिन-रातें। रहती वह खोयी-खोयी-सी, जैसे अपने को … Read more

धरा का प्रेम

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… धरा यही सिखाती है सबको गले लगाती है, पौधे-फूल उगाती है सबको खुशहाल बनाती है। धरा हमारी धड़कन है सुंदर रस का संगम है, मधुर मिलन का मिश्रण है हरियाली का दर्शन है। सच्ची सेवा करती है सारी पीड़ा हरती है, कभी नहीं इतराती है सब … Read more

सावन-सा त्यौहार

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… सूख रही है धरा, सूख रहा है पानी, आँखों काl धरती बनती, मरू ये कैसा रूप, जवानी काl सूखा तन, तपता बदन धूल-गुबार और, आंधी काl रसातल में जा पहुंचा, जल ये कैसा रूप दीवानी काl आओ सजा दें आँचल इस माँ का, करें बूंदों से … Read more

चलो करें मतदान

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** चलो करें मतदान हम सब बनें महान, युवा,बूढ़े और जवान सबसे पहले करें मतदान। ये अधिकार हमारा है संस्कृति का नारा है, राष्ट्रहित की धारा है ये तो पर्व हमारा है। नर-नारी सब एक समान मतदान से हो सबका कल्याण, पूरे राष्ट्र ने लिया है, ठान सबसे पहले करें मतदान। तन-मन … Read more

`आत्मजा`

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* आत्मजा खंडकाव्य से अध्याय-७ कहते यों बह पड़ीं दृगों से, अविरल दो मोटी धाराएँ निकल पड़ी ज्यों तोड़ स्वयं ही, पलकों की तमसिल काराएँl तारों-सी हो चली शान्त वह, सागर-सी गम्भीर प्रभाती नीरव नभ-सी मूक,किन्तु थी, नहीं हृदय में पीर समाती। हँसने पर कर लिया नियंत्रण, मुस्कानों तक सीमा बाँधी आ … Read more

सीने में अंगारे

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** अंगारे धधक रहे हैं सीने में, इन्हें शान्त न कर… कूद पड़े इस जंग में, हमें रोका न कर। लालच नहीं है सत्ता की, न्याय के साथ ये कहता हूँ… गीदड़ भालूओं की तरह, ना मैं वादा करता हूँ। उड़नखटोले में बैठकर, आसमान में उड़ते हो… झूठा सपना हमें दिखाकर, कुर्सी … Read more

तृप्ति

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** कालू,भूरू,और गोरिया यथा नाम तथा गुण के साथ रंग-रूप से भी मेल खाते,तीन दोस्त… तीनों कल रतलाम वाले बाबूजी की शवयात्रा में न्यौछावर की गई चिल्लर (सिक्के)लूट रहे थे। ‘राम नाम सत्य है’ के बीच जीवन का शाश्वत सत्य ‘पैसा’ अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा था। तकरीबन ३ किलोमीटर तक शवयात्रा … Read more

नन्हें बच्चे

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** नन्हें बच्चे आए घर, मिल-जुलकर मनायें उत्सव उम्र हमारी लग जाये, हो जाए अजर-अमर। पढ़ें-लिखें वे मन लगाकर, खेले क्रिकेट,कबड्डी और शतरंज माता-पिता की सेवा करें, रहें परिवार के संग। सच्चाई पे चलते रहें, कभी न रुके ये कदम बुराई से लड़ते रहें, जीत जाएंगे सारी जंग। मंजिल तो खुद आएगी, … Read more

भारत का चौकीदार

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** मैं हूँ भारत का चौकीदार दिन-रात रहता हूँ पहरेदार, घुसपैठ नहीं होने दूँगा दुश्मन को मैं ठोक दूँगा। परिंदों को पंख काटकर आकाश में मैं छोड़ दूँगा, भारत की शान को मैं कभी नहीं झुकने दूँगा। हिन्दुस्तान हमारी जान है मर्यादा पुरुषोत्तम की धाम है, अहंकारी का महाविनाश है यमलोक उनका … Read more