प्रेमचन्द श्रद्धा-सुमन

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)********************************************************************* मुंशी प्रेमचन्द जयन्ती(३१ जुलाई) विशेष….. धन्य हुआ वह जीवन,जिसने परखा जीवन-संवेदनाओं को छूकर,दिखाया वेदनाएं अंतर्मन;अंतस्थल से खींच-कर,लाया नोंक अपनी कलम। धन्य हुई वह धनपत,नबाब राय की कहानी,प्रेमचन्द रूप में जिसकी,सूरत गई पहचानी;धन्य हुआ वह अजायब,अजायब की निशानी। आठ वर्ष की मातृछाया,बाद की परेशानियाँ,उर्दू-फारसी छात्र-जीवन,दे गई उर्दू कहानियाँ;मनोरंजन से ऊपर … Read more

अखियाँ दर्शन को प्यासीं…

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)********************************************************************* ‘दृष्टि जिसे हम आँख भी कहते हैं हमारे पूरे शरीर को सुरक्षा प्रदान करती है और उस दृष्टि को बहुपयोगी बनाता है दर्शनशास्त्र, जिसे हमें पढ़ने,समझने और अपने जीवन में उतारने की जरूरत है,तभी हम जीवन का आनंद और दुनिया को सही अर्थ में समझ पाएंगे!’इस जिज्ञासा या व्याख्या … Read more

‘कुशल नेतृत्व’ वही,जो सबका हिय-मन लेकर चले

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)********************************************************************* भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी ने ३ जुलाई को एकाएक सुबह लद्दाख जाकर भारतीय सेना का मनोबल बढ़ा दिया और पूरे देश को इस आकस्मिक यात्रा से चकित भी कर दिया। इसके पहले गलवान घाटी की झड़प में शहीद हुए २० जवानों के बारे में उन्होंने कहा था … Read more

ग्रहों का असर-हमारे जीवन पर

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)********************************************************************* कहा जाता है कि ग्रह,नक्षत्र और राशि हमारे जीवन पर और प्रकृति पर भी असर डालते हैं। तब प्रश्न यह उठता है कि बहुत दूर पर स्थित ग्रह-नक्षत्र कैसे हमारे जीवन पर असर डालते हैं। अति व्यग्रता से हम सुबह अखबार का इंतजार करते हैं और आ जाने पर … Read more

वरिष्ठों की त्रासदी-कैसे उबरें!

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)********************************************************************* ‘वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।तथा शरीराणि विहाय जीर्णा- न्यन्यानि संयाति नवानि देही॥ भावार्थ-जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर दूसरे नए वस्त्रों को ग्रहण करता है,वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्याग कर दूसरे नए शरीरों को प्राप्त होता है।’ (श्रीमद्भगवद्गीता २/२२)‘कोरोना’ महामारी के चलते चार बार … Read more

नैसर्गिक न्याय

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)********************************************************************* घने पेड़ों के झरमुट में बसा हुआ अकीलपुर गाँव,अपनी शोभा,रहन-सहन में अकेला था। नदी किनारे बसा हुआ,हरे-भरे ब़ागों से घिरा हुआ,जरूरत पूरी करने के लिए बंसवाड़ी भी लगी हुई!लहलहाते खेतों की चादर बिछाए।‌जवान लोग तो कमाने दूर-दूर पंजाब, हरियाणा,दिल्ली,राजस्थान,मुंबई तो चेन्नई तक चले गये थे और जो बाहर जाने … Read more

बेचारा

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)********************************************************************* भीड़ भरी बस में ठूस-ठाँस के चढ़ता हूँ,खाली सीट नहीं,मन ही मन कुढ़ता हूँअपने को बेसहारा पाकर भी चिढ़ता हूँ-पुरानी बातें पाने को अब तो तरसता हूँ;ऐसे में कोई जवान खड़ा होकर-मुझको अपनी सीट पर बैठाता है,मैं मन से खुश नहीं हो पाता-क्योंकि,खुद को बेचारा पाता हूँ!! महिला-सीट पर … Read more

वट-सावित्री की वेदी पर

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र) पटना (बिहार) ****************************************************************************** मेरे गाँव का यह बरगद पेड़,मुझसे बहुत बड़ा है। मैं अब तेरासी ग्रीष्म को पार करनेवाला ही हूँ। खैर,बात बरगद पेड़ की उठी थी तो जब मैं बच्चा था,वट-सावित्री व्रत-पूजा के दिन मैं भी अपनी माँ के साथ इस पेड़ के पास जाता था और माँ की … Read more