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शिक्षक-शिक्षा पर मंथन आवश्यक

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)

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शिक्षक दिवस विशेष………..

जैसे पांचों उंगलियां एक समान नहीं होतीं,उसी प्रकार प्रत्येक शिक्षक पूजनीय या निंदनीय नहीं होता। आज अधिकांश शिक्षक अपना महत्व खो रहे हैं,क्योंकि भारी-भरकम ट्यूशन शुल्क और धन के बल पर परीक्षा उत्तीर्ण करवाने वाले शिक्षकों का सम्मान आखिर विद्यार्थी कब तक करेंगे ?
यह सत्य है कि हर वर्ष ५ सितम्बर को निस्वार्थ शिक्षकों को उनके बहुमूल्य कार्य को सम्मान देने के लिए ‘शिक्षक दिवस’ मनाया जाता है। ५ सितम्बर को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधकृष्णन का जन्मदिन होता है, जिनकी याद में पूरे भारत में शिक्षकों को सम्मान देने के लिए शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
शिक्षकों को सम्मान मिलना भी चाहिए,किंतु उन शिक्षकों को सम्मान कैसे मिलेगा ? जो शिष्य का अंगूठा काट लेने में गर्व अनुभव करते हैं। ऐसे कई शिक्षक हैं,जिन्होंने बादाम मांग कर शिक्षक वर्ग को कलंकित किया है,जबकि जीवन में ऐसे भी गुरूजन हैं जिन्हें ईश्वर से अधिक मान-सम्मान मिला है।
आज शिक्षक दिवस से अधिक शिक्षा प्रणाली पर मंथन करने की आवश्यकता है। नई शिक्षा नीति में बदलाव किया जा रहा है, और उसमें शिक्षकों के वेतन पर भी विचार करना चाहिए,ताकि उन्हें ट्यूशन पढ़ाने की आवश्यकता ही न पड़े और वह खुले मन से क्षिक्षा का दान करें। चूंकि राष्ट्र निर्माण के लिए भविष्य रूपी विद्यार्थियों का चरित्र निर्माण कार्य शिक्षकों पर ही निर्भर होता है, अतः ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने से पहले ‘आत्मनिर्भर शिक्षक’ बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण एवं आवश्यक है।

परिचय–इंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैL इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैL वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैL राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि हैL कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंL सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंL आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैL प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंL कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंL अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैL प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।

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