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नेता गिरा रे,सड़क जाम के बाजार में

नवेन्दु उन्मेष
राँची (झारखंड)

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शहर में एक बड़े नेता का आगमन होने वाला था। पुलिस वाले लोगों को सूंघ-सूंघ कर रास्ते में जाने दे रहे थे। चौक-चौराहे पर भीड़ ऐसे लगी थी जैसे शहर की पूरी आबादी चौक-चौराहे पर ऐसे आ डटी हो,जैसे सीमा पर दो दुश्मन देश के जवान आमने-सामने खड़े हों। इसी बीच शहर का एक नेता चौक के पास ही गिर गया। उसे देखने के लिए पुलिस वाले दौड़े। वहां खड़ी भीड़ को उसके पास जाने की इजाजत तो थी नहीं। अगर कोई जाने का प्रयास भी कर रहा था तो,पुलिस वाले उसे डंडे दिखाकर रोक रहे थे।
पुलिस की भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह बड़े नेता के काफिले के जाने के बाद छोटे नेता को उठाकर इलाज के लिए अस्पताल भेजे या भीड़ को नियंत्रित करे,सवाल नौकरी का था। इसी बीच किसी ने एंबुलेंस वाले को फोन कर दिया,लेकिन एंबुलेंस वाला भी जाम में फंस गया। छोटे नेता तक उसके आने की उम्मीद खत्म हो गईl इसी बीच भीड़ में से एक व्यक्ति ने चर्चा के दौरान कहा,-“नेताओं को तो जाम में गिरने की आदत होती है। जाम में नेता के गिरने से मीडिया का ध्यान जल्द आकृष्ट होता है।” दूसरे व्यक्ति से रहा नहीं गया,वह बोला,-“नेता जिस दिन से किसी पार्टी के दफ्तर में गिरता है,उसी दिन से उसकी जाम यात्रा शुरू हो जाती है। पहले वह पार्टी द्वारा आयोजित धरना-प्रदर्शन में भाग लेता है। यहां तक कि,किसी आंदोलन को लेकर जब पार्टी सड़क जाम करती है तो नेता उसमें सड़क जाम का प्रशिक्षण प्राप्त करता है। अगर शहर में कोई बड़ा नेता जुलूस लेकर जा रहा हो तो छोटा नेता यातायात को नियंत्रित करता है। जुलूस के आगे-पीछे चल रहे लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहता है। वह इस तरह से यातायात को आगे बढ़ाता रहता है,जैसे वह यातायात पुलिस का दूसरा पर्याय हो। अगर ट्रेड यूनियन का नेता हो तो उसे फैक्ट्री के मुख्य द्वार को जाम करने की आदत
होती है।” तब तक बड़े नेता का काफिला गुजर गया। पुलिस वालों ने छोटे नेता को अस्पताल भेजते वक्त कहा,-“इस साले को भी इसी वक्त गिरना था। नेता बेहोश था। लोगों की भीड़ लग गई। हर कोई जानने को उत्सुक था कि यह किस दल का नेता है और कहां रहता है ?
इसी बीच नेता पर टिप्पणी करने वाले एक व्यक्ति ने कहा,-“सभी जानते हैं कि नेता को सड़क जाम करने की आदत होती है। नेता,जब छोटा नेता रहता है तब तक छोटी सड़कों को जाम करता है। नेता जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है,उसे बड़ी और लंबी सड़क को जाम करने की आदत हो जाती है। बड़े नेता के सम्मान में पुलिस वाले भी सड़क जाम में साथ देते हैं।” वहां खड़े एक अन्य सज्जन ने अपनी बातों को रखते हुए कहा,-“नेता मरने के बाद भी सड़क जाम करता है। जितने बड़े कद का नेता होता है,उसकी मौत पर सड़क जाम भी उतनी ही बड़ी होती है। अगर शहर में किसी बड़े नेता की मौत हो जाती है तो उसके घर से लेकर शमशान घाट तक जाम का नजारा देखने को मिलता है। पुलिस वाले उक्त सड़क से किसी को जाने नहीं देते,यानि वे भी उसकी मदद करते हैं।”
इसी बीच उक्त स्थल पर एंबुलेस की गाड़ी किसी तरह पहुंची और शहर के छोटे नेता को उठाकर अस्पताल ले गई। मीडिया वाले उसके पीछे दौड़े। नेता अस्पताल पहुंचा,पता चला कि इस नेताजी को मीडिया का दौरा पड़ा है। लोगों ने चिकित्सक से पूछा-कौन सी बीमारी है ? चिकित्सक ने कहा-जैसे लोगों को दिल का दौरा पड़ता है,उसी तरह नेता को मीडिया का दौरा पड़ता है। इस बीमारी का इलाज चिकित्सा जगत में नहीं है। इसका मरीज भी नेता होता है और चिकित्सक और दवा भी नेता होता है। कुछ देर के बाद नेता अस्पताल के बिस्तर से उठ खड़ा हुआ और बोला,-“मीडिया वाले आए थे कि नहीं!” चिकित्सक ने कहा,-“आए थे और आपकी तस्वीर लेकर चले गएl”
नेता अस्पताल से हँसता-मुस्कुराता अपने घर की ओर चल पड़ा।

परिचय-रांची(झारखंड) में निवासरत नवेन्दु उन्मेष पेशे से वरिष्ठ पत्रकार हैंl आप दैनिक अखबार में कार्यरत हैंl

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