कुल पृष्ठ दर्शन : 172

You are currently viewing भयावहता में चेतना जाग्रत करने के उद्देश्य से सृजित कविताएं समाज सेवा ही-प्रो. खरे

भयावहता में चेतना जाग्रत करने के उद्देश्य से सृजित कविताएं समाज सेवा ही-प्रो. खरे

मंडला(मप्र)।

कोरोना की विभीषिका दिल दहला देने वाली है,जिसने सारी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। हम कवि-लेखक-कलाकार भी घबराए,पर बाद में न केवल हम खुद संभले,बल्कि अपने सृजन व कला से हम औरों को संभालने व उनका मनोबल बढ़ाने में भी जुट गए। सम्मेलन में कविताओं को सुनकर ऐसा ही लगा कि कोरोना से संघर्ष करने के लिए भी लोगों को,कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से प्रेरित किया है,जिसे हम सामाजिक सेवा के रूप में स्वीकार करते हैं।
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मंडला(मध्यप्रदेश) के जाने-माने साहित्यकार प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे ने अपने सार्थक व्याख्यान में यह बात कही। संस्था के अध्यक्ष सिद्धेश्वर ने कहा कि,कोरोनाकाल में लिखी जा रही कविताएं समयगत सच्चाईयों को बयां करने वाली,समय सापेक्ष हैं,जिन्हें इतिहास बड़ी गंभीरता से कालजयी बना देता है l कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ शायर सोहेल फारूकी रहे। अध्यक्षता स्वाराक्षी स्वरा (बिहार) ने की।
संयोजक सिद्धेश्वर के ऑनलाइन संचालन में स्वराक्षी स्वरा ने ‘कोरोना की मार से त्रासद है संसार!, कर दो दूर विषाणु,यह होगा प्रभु का उपहार !’ सुनाई तो अशोक जैन ( गुजरात) ने ‘सन्नाटा है हर तरफ, महामारी का जोर, घर में दुबके ही रहो, नहीं मचाओ शोर!! एवं विज्ञान व्रत ने ‘बस अपना ही गम देखा है ?,तुमने कितना कम देखा है’ सुनाई। सोहेल फारुकी,डॉ. मेहता नागेंद्र सिंह,आराधना प्रसाद,ऋचा वर्मा एवं विजया लक्ष्मी सिन्हा आदि ने भी रचनाएँ पढ़ीं। इस प्रकार यादगार ऑनलाइन कवि सम्मेलन हुआ। कविताओं पर सारगर्भित टिप्पणी प्रस्तुत करने वालों में अपूर्व कुमार,संतोष मालवीय,डॉ. पुष्पा जमुआर, हरीश बिस्ट आदि शामिल रहे।

Leave a Reply