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सामाजिक समस्याओं को उकेरता द्वन्द

राजेश पुरोहित
झालावाड़(राजस्थान)
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पटना के रचनाकार कवि आशुतोष कुमार झा ने अपने द्वन्द काव्य संकलन(नई दिल्ली) में सामाजिक समस्याओं को अपनी कविताओं का विषय बनाते हुए भ्रष्टाचार, भुखमरी,बढ़ती महँगाई,मजदूरों के ताजा हालातों के साथ ही देश के विभिन्न त्योहारों व राष्ट्रीय पर्वों पर आधारित रचनाएँ लिखी है। इस संकलन में अंगार से लेकर श्रृंगार की रचनाएं पढ़ने को मिलेगी। काव्यानंद में डूबते पाठक आशुतोष झा की काव्य रचनाओं से समाज सुधार ही नहीं कर सकते,अपितु जिन्दगी को सुखमय बना सकते हैं। ६७ रचनाओं में आपने कविता,गीत,ग़ज़ल के साथ ही छंदमुक्त रचनाएँ लिखी है।
इस कृति की प्रथम रचना बेवफाई मंजर में आशुतोष झा कहते हैं-वफ़ा तो शरीर की देखो,आत्मा से बड़ी बेवफा दूसरी न देखी। आत्मा अजर अमर है। शाश्वत है। नश्वर है शरीर।
हँसी काव्य रचना में आप हर समय प्रसन्न रहने की बात रखते हैं-सारी व्यथा को हँसी में उड़ा दो। खूबसूरती में बात का जादू सफल-सफल,मदहोश करती पहर-पहर,एक अच्छी रचना है। स्याही और शब्द रचना में स्याही के करिश्मे देखते ही बनते हैं। रोजी-रोटी मकान,भूख की कोई जात नहीं। सही कहा,तालाबन्दी में भूखे मजदूरों को रोते देखा है।
नजर शीर्षक में-नज़र-नज़र की सौगात अच्छे-बुरे की पहचान, वास्तव में नज़र के पारखी सब जान लेते हैं। जरूरत की बातें, फुटपाथ पर ठिठुरते जीवन की बातें। आरक्षण रोजगार,आधुनिकता शांति भाईचारे की बातें लिखी। देखा जाए तो ये ही जरूरत की मूल बातें हैं,हर देशवासी को इस बात पर चिंतन कर समाधान की जरूरत है। जिंदगी की विवशता कहीं वैराग्य है तो कहीं योग है जिंदगी,को आशुतोष झा ने अपने नजरिए से लिखा है। मौत रचना में बताया कि मौत निश्चित है एक दिन आती है।
दुनिया,राम मन्दिर,तिरंगा बसंत,खूबसूरती,मकर सक्रांति,पर्यावरण,गणतंत्र डिवएक्स,वायुमंडल,साईंनाथ दोहा,मन्दिर और तारीख,शब्द,नारी सम्मान, हमारा बिहार और पटना आदि रचनाएँ त्यौहार पर आधारित व परिवेश से जुड़ी समस्याओं पर आधारित सामयिक है।
बगुला कविता नेताओं पर करारा व्यंग्य है। कुर्सी मिलने के बाद नेता वादा भूल जाते है। जी हजूरी,कामदार का काम बोलता आदि रचनाएँ महत्वपूर्ण हैं। प्रिय का साथ श्रंगार की रचना है। बेवफा, वक़्त से पहले जैसी रचनाएँ युवा पाठकों की पसंद रहेगी। ऐतिहासिक संदेश में भूख,गरीबी,बेरोजगारी जैसी समस्याओं को गिनाते हुए पर्यावरण,सौर ऊर्जा,जल संरक्षण की बातें बताना कवि ने न्यायोचित समझा है।

प्रस्तुत कृति की भाषा सरल व बोधगम्य है। मूल्य भी पाठकों की पहुँच के अंदर है। एक बेहतरीन काव्य संकलन हेतु आशुतोष झा को बधाई देता हूँ।

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