कुल पृष्ठ दर्शन : 254

धन्य है वसुंधरा

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’ 
गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)

***********************************************************

धरा धन्य है जननी-सी बचपन में माँ का जीवन का आधार,
माँ का आँचल ममता की छाया
धरती माँ जीवन जीने का आधार,
चाहे करे मानव कोई व्यवहार,ना होती नाराजl

सीना चीरता अपने जीवन जीने की,
साध्य साधना करता मानव किसान
नदिया दरिया समन्दर झरना पहाड़,
पेड़-पौधे जंगल-बाग़ खुद की खातिर
इनका दोहन करता इंसान।

धरती मानव की पहचान वैभव विरासत अभिमान,
वसुंधरा जननी जन्मभूमि स्वर्ग से सुंदर भरणी धरणी तरणि
माँ की कोख पला,धरती पर पहला कदम माँ बोला,
माँ ने दुनिया से परिचित करवायाl

माँ ने जिंदगी दी,माँ ने दुनिया-समाज बताया,
माँ ने रिश्तों से मिलवाया
वसुंधरा ने विश्व ब्रह्माण्ड को बतायाl

माँ की उंगलियां पकड़ कर चलना सीखा,
माँ ने ही हाथ में कलम पकड़ाई
वसुंधरा ने चाल-काल वर्तमान भविष्य,
इतिहास-भूगोल से परिचित करवाया।

माँ के चरणों में स्वर्ग और माँ के आँचल में संसार,
ब्रह्मांड का सत्यार्थ प्रकाश है जननी
जन्म भूमि स्वर्ग साक्षात्l

माँ के दूध के कर्ज़-फ़र्ज का,
पंच महाभूतों के शरीर में माँ आत्मा
स्वांस धड़कन प्राण का आधार,
अवनि अस्तित्व हस्ती की हद
गुरुर-गर्व,मान-स्वाभिमानl

माँ देवकी है,यशोदा,सरस्वती है,
माँ यथार्थ जीवन मूल्यों का सार
प्रकाश है धरा धन्य,अवनि अरमान,
खाब,हकीकत वसुंधरा कर्म-धर्म का जीवन ज्ञानl

कभी भी माँ ने अपने स्नेह मर्म मर्यादा से,
ओझल नहीं होने दिया मेरा यह जीवनl
जीवन के हर पल प्रहर में वसुंधरा,
जीवन मूल्यों का आवरण
भाव-भावना मानव-मानवता का युग संसारll

परिचय–एन.एल.एम. त्रिपाठी का पूरा नाम नंदलाल मणी त्रिपाठी एवं साहित्यिक उपनाम पीताम्बर है। इनकी जन्मतिथि १० जनवरी १९६२ एवं जन्म स्थान-गोरखपुर है। आपका वर्तमान और स्थाई निवास गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) में ही है। हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री त्रिपाठी की पूर्ण शिक्षा-परास्नातक हैl कार्यक्षेत्र-प्राचार्य(सरकारी बीमा प्रशिक्षण संस्थान) है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त युवा संवर्धन,बेटी बचाओ आंदोलन,महिला सशक्तिकरण विकलांग और अक्षम लोगों के लिए प्रभावी परिणाम परक सहयोग करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,नाटक,उपन्यास और कहानी है। प्रकाशन में आपके खाते में-अधूरा इंसान (उपन्यास),उड़ान का पक्षी,रिश्ते जीवन के(काव्य संग्रह)है तो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-भारतीय धर्म दर्शन अध्ययन है। लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-पूज्य माता-पिता,दादा और पूज्य डॉ. हरिवंशराय बच्चन हैं। विशेषज्ञता-सभी विषयों में स्नातकोत्तर तक शिक्षा दे सकने की क्षमता है।

Leave a Reply