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यही है इंसानियत

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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आदि मानव से मानव हुए,मानव से इंसान,
सुकर्मों से यश मिले,नर हो समान भगवान।

अनजाने कोई मदद माँगे तो,पहचानो उसकी नीयत,
वास्तव में हो लाचार तो,मदद करो यही है इंसानियत।

हरदम बड़ों का आदर करो,बढ़ा लो अपनी हैसियत,
द्वार से कोई भूखा ना जाए,भरे पेट यही है इंसानियतl

सत्य मार्ग पर चलते रहें,कैसी भी हो तबीयत,
अहिंसा का अनुसरण करें,वास्तव में यही इंसानियत।

जीवों पर जो दया करे,दान करे तो देखे ना हैसियत,
इंसान वही महान है,जिसमें खूब भरी हो इंसानियतl

मिट्टी का जो मान करे,धरती पर माता जैसी हो नीयत,
सेवा में कर दे प्राण समर्पित,सच में यही है इंसानियत।

दीन-दुखियों के जो दुख हरे,खुश कर दे तबीयत,
कहे `उमेश` कि शत-प्रतिशत,यही है इंसानियत।

कहे `उमेश` इंसानियत की,महिमा से बदले तबीयत,
मात-पिता,गुरु जो पूजे,सिद्ध कर दे इंसानियतll

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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