सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’
मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश)
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आशिक़ लिख ‘दे पगला लिख दे।
लेकिन अपना शैदा ‘लिख दे।
प्यार ‘का कोई रुक़्क़ा लिख दे।
मैसेज हमको अच्छा ‘लिख दे।
जैसा चाहे वैसा लिख दे।
झूठे को तू सच्चा लिख दे।
होने दे हैं तिश्ना लब हम,
सहरा ‘को तू ‘दरिया लिख दे।
पेपर ही तो भरना है बस,
सच्चा-झूठा क़िस्सा ‘लिख दे।
कौन है ‘कहने वाला तुझसे,
मेंहगे को तू ‘सस्ता लिख दे।
मुँह जो खोले अपना ‘फ़राज़’ अब,
उससे सबको ख़तरा लिख दे॥