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पर्यटकों को बरबस खींचता इस्कॉन मंदिर

डॉ. स्वयंभू शलभ
रक्सौल (बिहार)

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भुवनेश्वर यात्रा………..
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर राज्य का सबसे बड़ा शहर है,जिसे भारत के पूर्वी हिस्से का सांस्कृतिक केन्द्र माना जाता है। ऐतिहासिक मंदिर और अपनी गौरवशाली विरासत के कारण इस शहर को `टेम्पल सिटी` के रूप में भी जाना जाता है। यह शहर हिंदू,जैन और बौद्ध संस्कृति में विविधता और एकता का प्रतीक है। इस राज्य में भुवनेश्वर,कोणार्क और पुरी साथ मिलकर एक ‘स्वर्ण त्रिभुज’ बनाते हैं।
भुवनेश्वर नगर के बीचों-बीच स्थित इस्कॉन मंदिर का आकर्षण पर्यटकों को बरबस अपनी ओर खींचता है। यह मंदिर विश्वभर में फैले इस्कॉन मंदिर का हिस्सा है। यहां कृष्ण,बलराम,जगन्नाथ,सुभद्रा और गौर निताई की प्रतिमा स्थापित है। हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां भजन और पूजा में शामिल होते हैं। कृष्ण उत्सव और जगन्नाथ उत्सव के दौरान इस मंदिर में भारी भीड़ जमा होती है। इस मौके पर भव्य शोभायात्रा भी निकाली जाती है।
मंदिर के बाहरी कक्ष में राधाकृष्ण की मनमोहक मूर्तियां,धार्मिक प्रतीक चिह्न और कृष्ण लीला से जुड़े साहित्य उपलब्ध हैं। मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर के अतिरिक्त कमल दल की आकृति का एक अन्य मंदिर भी स्थापित है,जिसकी बनावट मन मोह लेती है।
संध्या भजन और आरती में हमें भी शामिल होने का मौका मिला… एक आचार्य मधुर स्वर में ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ की धुन गुनगुना रहे थे ,और कुछ अनुयायी उनके साथ संगत कर रहे थे। पट खुलने के पूर्व तक सभी भक्त भजन-कीर्तन के साथ झूमते-गाते रहे…l पट खुलते ही पूरा कक्ष दूधिया प्रकाश से नहा उठा…l
दर्शन के बाद प्रसाद स्वरूप हमें कमल का एक पुष्प भी मिला,जिसे हमने पूरी यात्रा में संजोकर रखा…l
इस्कॉन मंदिर की चर्चा के बीच इस संस्था के संस्थापक स्वामी प्रभुपाद के जीवन के बारे में जानना भी जरूरी है…l इस्कॉन यानी इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कृष्णा कॉन्शियसनेस…,यह संस्था गौड़ीय वैष्णव परम्परा से संबंधित है,जो भगवद्गीता और श्रीमद्भागवत की शिक्षा पर आधारित एक भक्ति परम्परा है। १९५९ में संन्यास ग्रहण के बाद स्वामी प्रभुपाद ने वृंदावन में श्रीमद्भागवतपुराण का अनेक खंडों में अंग्रेजी में अनुवाद किया। आरंभिक ३ खंड प्रकाशित करने के बाद १९६५ में अपने गुरु के अनुष्ठान को संपन्न करने वे ७० वर्ष की आयु में बिना धन और बिना किसी सहायता के अमेरिका जाने के लिए निकले,जहाँ १९६६ में उन्होंने इस्कॉन की स्थापना की। १९६८ में प्रयोग के तौर पर वर्जीनिया,अमेरिका की पहाड़ियों में नव वृंदावन की स्थापना की। २ हजार एकड़ के इस समृद्ध कृषि क्षेत्र से प्रभावित होकर उनके शिष्यों ने अन्य जगहों पर भी ऐसे समुदायों की स्थापना की। आज विश्वभर में इस्कॉन के ८०० से ज्यादा केन्द्र,मंदिर,गुरुकुल एवं अस्पताल आदि प्रभुपाद की दूरदर्शिता और अद्वितीय प्रबंधन क्षमता के जीते-जागते साक्ष्य हैं। इस्कॉन मंदिर हर दर्शनार्थी के अंदर भगवान कृष्ण को समझने का एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है…l
(प्रतीक्षा कीजिए अगले भाग की…)

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