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तिरंगा प्यारा

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष……….

देश हमारा
हमको प्यारा,
है सब देशों से
ये न्यारा।

हालात चाहे
जो भी आए,
जीता हरदम
कभी न हारा।
देश की
आजादी की ख़ातिर,
शहीदों ने अपना
जीवन वारा।

वीर जवानों ने
रक्त से अपने,
भारत माँ का
रूप निखारा।
आजादी के
दीवानों ने,
देश का बिगड़ा
भाग्य सँवारा।

जय-जवान
जय-किसान,
शास्त्री जी ने
दिया ये नारा।
गणतंत्र दिवस की
शुभ बेला में,
फहराएंगे हम
तिरंगा न्यारा॥

परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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