कुल पृष्ठ दर्शन : 158

You are currently viewing अनकहे रिश्ते

अनकहे रिश्ते

रोहित मिश्र,
प्रयागराज(उत्तरप्रदेश)
***********************************

विनोद इस साल हाई स्कूल की परीक्षा दे रहा था, उसका सेन्टर काफी दूर पड़ा था,गाँव के कुछ लड़कों का भी सेन्टर वही पड़ा था।
विनोद का परिवार बहुत ही सीधा-सादा था। सभी लड़के सेन्टर पर बस से जाते थे। बस स्टॉप से सेन्टर तक का रास्ता एक घंटे का था। गाँव के लड़के विनोद से बस में काफी मजे लिया करते थे। यानी रास्तेभर उसे परेशान किया करते थे। विनोद ने लड़कों की शिकायत घर में कर दी। तब विनोद के पिता ने बस स्टॉप पर ही सबके सामने लड़कों को खूब डाँटा। लड़के विनोद पर और गुस्सा हो गए।
दूसरा सेन्टर,दूसरे बस स्टॉप से एक किमी दूर था। साधन का कोई इंतजाम न होने के कारण सेन्टर तक पैदल जाना रहता था। लड़कों ने विनोद से अपनी बेइज्जती का बदला लेने का फैसला किया, लड़के परीक्षा सेन्टर के रास्ते में विनोद को खूब परेशान करने लगे। लड़कों का पूरा प्रयास था कि विनोद की परीक्षा किसी तरह छूट जाए,जिसके लिए उन लड़कों ने विनोद को नहर में धकेल दिया और भाग निकले।
बगल के खेत में काम कर रहे व्यक्ति ने विनोद को नहर में फँसा देखा तो वह बचाने के लिए दौड़ पड़ा। उसने किसी तरह विनोद को बाहर निकाला। जैसे ही विनोद की परीक्षा के बारे में उस व्यक्ति को जानकारी हुई,उसने तुरंत खेत में पड़ी साइकिल पर विनोद को बैठाया और उसे अपनी साइकिल सें सेन्टर तक पहुँचाया।
विनोद उस व्यक्ति के पैर छूकर और धन्यवाद कर परीक्षा देने चला गया।
विनोद मन ही मन यह सोचता रहा कि,अगर आज वो अनजान व्यक्ति उसकी मदद न करता तो उसका पर्चा छूट जाता और साल भी बर्बाद हो जाता।

Leave a Reply