कुल पृष्ठ दर्शन : 341

You are currently viewing जल…

जल…

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष…

विकल-विकल जल बिना मानव,
जल छुप जाए रसातल-तल।

जल-जल वरदान है हमको,
प्रकृति अनमोल देन पल-पल।

तरल-तरल हो रूप बदलती,
पानी की कहानी है छल-छल।

उछल-उछल जब नदियां चले,
मुग्ध होते मन मचल-मचल।

रिमझिम-रिमझिम मेह बरसे,
कभी आ धमके धमक-धमक।

लहर-लहर सिंधु लहराये,
सरोवर मनहर ठहर-ठहर।

रुनक-झुनक उतरे निर्झनी,
पर्वत शिखर हो झनक-झनक।

गहर-गहर गहराये घुमड़े,
वसुंधरा उर विकल-अतल।

गमक-गमक उठे प्यासी भू,
बरसते सावन महक-महक।

कल-कल पानी गीत गाती,
जीवन मृत्यु पर्यंत छल-बल।

थिरक-थिरक बून्द नाचती,
मृत्यु बनती तब कहर-कहर।

शहर-शहर जाल फैली जल,
जलाशय आते नहर-नहर॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

Leave a Reply