कुल पृष्ठ दर्शन : 273

शीत का संदेश

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
***************************************************
वर्षा गई अब मेरी बारी…,
जल्दी से कर लो तैयारी
ओढ़ो कंबल और रजाई,
नहीं तो प्यारे ठंड लग जाई
छोड़ो अकड़ चादर लो पकड़,
मान लो मेरा यह उपदेश
यही है शीत का संदेशl
यही है शीत का संदेश…

शीत ऋतु भाती है सबको,
देते हैं धन्‍यवाद सब रब को
मौसम तो खूब लगे सुहाना,
थकने का कोई नहीं बहाना
सूरज लगता है प्यारा अपना,
छुपे तो लगे,गए परदेश
यही है शीत का संदेशl
यही है शीत का संदेश…

ठंडी लगे ना,बचकर रहना,
गर्म दूध को ना,ना कहना
बहे पवन तो कान को बाँधो,
अपनी शक्ति कभी ना साधो
टूट जायेगा अहम,बात यह,
बुजुर्ग कहते थे हरमेश
यही है शीत का संदेशl
यही है शीत का संदेश…

साथ में सदा कंबल रखिए,
हर दम काम यह आती है
चाहे ओढ़िए या बिछाइए,
हँसी-खुशी बिछ जाती है
अलाव की तैयारी रखिए,
सदा ही कहते हैं `उमेश`
यही है शीत का संदेशl
यही है शीत का संदेशll

परिचय-उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

Leave a Reply