कुल पृष्ठ दर्शन : 317

You are currently viewing नारी नहीं मजबूर

नारी नहीं मजबूर

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

********************************************

मज़बूर हूँ मैं,
मगर ये मत समझना
कि कमज़ोर हूँ।
मज़बूत हूँ मैं,
साथ ही ग़रीब हूँ
मगर लाचार नहीं।

तेरे शोषण का सबूत हूँ मैं,
तेरी ही पहचान हूँ मैं
फिर भी अपनों के लिए
कार्य कर रही हूँ
दुखी होते हुए भी,
आनंदमय जीवन जिए
जा रही हूँ मैं।
मज़बूर हूँ मैं…

मिटाएगा मुझे तू क्या,
इतनी हिम्मत कहाँ तुझमें ?
क्योंकि,मैं सदा ही कर्म करने में,
आस्था जो रखती हूँ
इसलिए मेरा भगवान,
हमेशा ही मेरे साथ है
तभी तो वो खुद कहता है,
कि कण-कण में मौज़ूद हूँ।
मज़बूर हूँ मैं…

दिलों में बुलंद हौंसले,
लेकर हम जीते हैं
हर कोई काम करने की,
इच्छाशक्ति रखती हैं
कौन-सा वो काम है,
जो हम कर नहीं सकते।
हर सुबह सकारात्मक नई,
सोच को लेकर जो उठते हैं।
मज़बूर हूँ मैं…,
मगर लाचार नहीं॥

परिचय– संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

Leave a Reply