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देश का अन्नदाता है किसान

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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मेरे देश का किसान स्पर्धा विशेष…..

शास्त्री जी ने देश को,
नारा दिया महान
जय जवान,जय किसान,
तन से चाहे हो फकीर।
है मन से बड़ा धनवान,
देश का अन्नदाता है किसान।

गर्मी में धूप में तपता,
बरसातों में रहे भीगता
सर्दी में वह रहे ठिठुरता,
निर्भर वह कृषि पे रहता।
मेहनत से न डरे,कर्म करे महान,
देश का अन्नदाता है किसान…।

कभी बाढ़ का तांडव होता,
कभी फ़सल को सूखा होता
और कभी पाला पड़ जाता,
जीवन से जंग,मौसम से द्वंद होता।
फसल के लिए लगाता है जी जान,
देश का अन्नदाता है किसान…।

बीजों में जीवन डालता,
खेतिहर,भूमिपुत्र कहलाता
देश,राष्ट्र की रीढ़ मानता,
मान्यता में शून्य ही आता।
चाहता है देश करे उसका सम्मान,
देश का अन्नदाता है किसान…।

कभी धरना,आन्दोलन करता,
फसल का उपयुक्त दाम न मिलता
खाद्य उत्पादन,आर्थिक विकास करता,
आओ करें हम उसका मान।
देश की जान,देश की शान,
देश का अन्नदाता है किसान…॥

परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।

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