मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’
जयपुर(राजस्थान)
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वो मेरी तस्वीर को,
सीने से लगाकर मुहब्बत करती रही।
पर मेरे सामने अपनी,
मुहब्बत का इजहार करने से डरती रही॥
रची हुई हाथों की मेहंदी से,
मेरे नाम की खुशबू बिखरती रही॥
वो पगली हर रोज,
आईने के सामने मेरी याद में संवरती रही॥
देखकर किसी को,
इश्क-ए-राह पर ठंडी आह वो भरती रही।
वो मुझसे,बस मुझसे,
ता-उम्र खामोश मुहब्बत करती रही॥
ले चुटकी भर सिंदूर,
छिपाकर जमाने से माँग में भरती रही।
इश्क की रोशनाई में,
जागते हुए ‘मनु’ रातभर निखरती रही॥
निभाने मुझसे किया वादा,
पूछने पर हर बार इन्कार करती रही।
उसकी आँखों की सुर्खी,
रह-रह के मेरा इन्तजार करती रही॥
परिचय-मनोज कुमार सामरिया का उपनाम `मनु` है,जिनका जन्म १९८५ में २० नवम्बर को लिसाड़िया(सीकर) में हुआ है। जयपुर के मुरलीपुरा में आपका निवास है। आपने बी.एड. के साथ ही स्नातकोत्तर (हिन्दी साहित्य) तथा `नेट`(हिन्दी साहित्य) की भी शिक्षा ली है। करीब ८ वर्ष से हिन्दी साहित्य के शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं और मंच संचालन भी करते हैं। लगातार कविता लेखन के साथ ही सामाजिक सरोकारों से जुड़े लेख,वीर रस एंव श्रृंगार रस प्रधान रचनाओं का लेखन भी श्री सामरिया करते हैं। आपकी रचनाएं कई माध्यम में प्रकाशित होती रहती हैं। मनु कई वेबसाइट्स पर भी लिखने में सक्रिय हैंl साझा काव्य संग्रह में-प्रतिबिंब,नए पल्लव आदि में आपकी रचनाएं हैं, तो बाल साहित्य साझा संग्रह-`घरौंदा`में भी जगह मिली हैl आप एक साझा संग्रह में सम्पादक मण्डल में सदस्य रहे हैंl पुस्तक प्रकाशन में `बिखरे अल्फ़ाज़ जीवन पृष्ठों पर` आपके नाम है। सम्मान के रुप में आपको `सर्वश्रेष्ठ रचनाकार` सहित आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ सम्मान आदि प्राप्त हो चुके हैंl