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स्वर्ग की तलाश खत्म हो गई

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार
अहमदाबाद (गुजरात ) 
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‘प्रेम’ को बचाने की जद्दोजहद में,
मिटता जा रहा है प्रेम
मिट रहा है अपनत्व,स्नेह
माता-पिता और बच्चों के बीच,
दादा-दादी और नाती-पोतों के बीच
पति-पत्नी और बच्चों के बीच,
भाई-बहन और परिवार के बीच
शहर में मकान बढ़ते जा रहे हैं,
घर हो रहे हैं लापताl

चलो! एक ही पहाड़ा रटते हैं सब-जनरेशन गैप,
इससे बच जाएंगे अनेक बहसों,सवालों में
उतरने से,बच जाएंगे संवादों से,
जो होने थे दो पीढ़ियों के बीच
सुबह उठते ही बच्चे मोबाइल के साथ चले जाते हैं,
पश्चिम में,माता-पिता भीड़ के साथ
भीड़ चढ़ती है पहाड़ पर,
पहाड़ के पीछे सूर्यास्त है
संस्कृति पूछती है अपना पता,
रात अंधेरे में खाती है ठोकरें
होती है दस्तक,
पर दरवाजे नहीं खुलतेl

रह जाता है फक़त मकान,
मकान को घर बनाने के लिए
कोई तो चाहिए जो घर को घर कहे,
घर को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए कभी
आखिर उसे भी चाहिए अपनत्व,
घर लगातार बदल रहा है अपनी जगह
बाजार की साज़िश से बेखबर,
कि हम पर थोपी जा रही हैं
बाहर से आने वाली चीजों के साथ-साथ,
अनुशासनहीन,असभ्यता,अंधानुकरण
मकान भरता जा रहा है साजो-सामान से,
दिन-दिन अकेला हो रहा है घरl

घर दिन-रात सोचता है कहाँ जाऊँ,
नहीं जा सकता है कहीं
उसे इन्तजार रहता है लोगों का,
ताकि हो सके संवाद
मैं जब भी बाहर गई घर से,
घर मेरे भीतर ही रहा,ताकि याद रहे
लौटना है अपनी जगह,
अपनी जगह खो कर व्यक्ति कहीं का नहीं रहता
और जब भीतर रही,तब प्रेम में रहा घर
और जब घर प्रेम में था उसी क्षण किया हमने,
एक-दूजे से अदृश्य प्रेम
जैसे अदृश्य होता है स्वप्न,
जैसे अदृश्य होता है सुख
जब घर में बस गया आकर ‘स्वर्ग’,
तब स्वर्ग की तलाश खत्म हो गई घर कोll

परिचयडाॅ.आशासिंह सिकरवार का निवास गुजरात राज्य के अहमदाबाद में है। जन्म १ मई १९७६ को अहमदाबाद में हुआ है। जालौन (उत्तर-प्रदेश)की मूल निवासी डॉ. सिकरवार की शिक्षा- एम.ए.,एम. फिल.(हिन्दी साहित्य)एवं पी.एच.-डी. 
है। आलोचनात्मक पुस्तकें-समकालीन कविता के परिप्रेक्ष्य में चंद्रकांत देवताले की कविताएँ,उदयप्रकाश की कविता और बारिश में भीगते बच्चे एवं आग कुछ नहीं बोलती (सभी २०१७) प्रकाशित हैं। आपको हिन्दी, गुजराती एवं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। आपकी कलम से गुजरात के वरिष्ठ साहित्यकार रघुवीर चौधरी के उपन्यास ‘विजय बाहुबली’ का हिन्दी अनुवाद शीघ्र ही प्रकाशित होने वाला है। प्रेरणापुंज-बाबा रामदरश मिश्र, गुरूदेव रघुवीर चौधरी,गुरूदेव श्रीराम त्रिपाठी,गुरूमाता रंजना अरगड़े तथा गुरूदेव भगवानदास जैन हैं। आशा जी की लेखनी का उद्देश्य-समकालीन काव्य जगत में अपना योगदान एवं साहित्य को समृद्ध करने हेतु बहुमुखी लेखनी द्वारा समाज को सुन्दर एवं सुखमय बनाकर कमजोर वर्ग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और मूल संवेदना को अभिव्यक्त करना है। लेखन विधा-कविता,कहानी,ग़ज़ल,समीक्षा लेख, शोध-पत्र है। आपकी रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित और आकाशवाणी से भी प्रसारित हैं। काव्य संकलन में आपके नाम-झरना निर्झर देवसुधा,गंगोत्री,मन की आवाज, गंगाजल,कवलनयन,कुंदनकलश,
अनुसंधान,शुभप्रभात,कलमधारा,प्रथम कावेरी इत्यादि हैं। सम्मान एवं पुरस्कार में आपको-भारतीय राष्ट्र रत्न गौरव पुरस्कार(पुणे),किशोरकावरा पुरस्कार (अहमदाबाद),अम्बाशंकर नागर पुरस्कार(अहमदाबाद),महादेवी वर्मा सम्मान(उत्तराखंड)और देवसुधा रत्न अलंकरण (उत्तराखंड)सहित देशभर से अनेक सम्मान मिले हैं। पसंदीदा लेख़क-अनामिका जी, कात्यायनी जी,कृष्णा सोबती,चित्रा मुदगल,मृदुला गर्ग,उदय प्रकाश, चंद्रकांत देवताले और रामदरश मिश्र आदि हैं। आपकी सम्प्रति-स्वतंत्र लेखन है।

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