यौवन छल गया

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* जिन्दगी दूर जा रही है। मौत करीब आ रही है। खून हो चुका है पानी, एवं मूर्छा छा रही है। आत्मशक्ति बची…

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भारत की पहचान है हिंदी

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* जान,मान एवं शान है हिंदी। भारत की पहचान है हिंदी। अन्य भाषाऐं भी अच्छी हैं, पर उत्तम मिष्ठान है हिंदी। अति सरल…

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धर्म और मानवता

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* यदि एक, दूसरे से कोई पूछता है- बताओ तुम्हारा धर्म क्या है ? तो वह बिंदास बोलते हैं कि, हिन्दू हूँ, मुसलमान…

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सामूहिक दुष्कर्म: कड़े से कड़े दण्ड की जरूरत

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* हैदराबाद घटना-विशेष रचना.................. द्वापर युग के द्रौपदी चीरहरण से लेकर `दामिनी` सामूहिक बलात्कार एवं `निर्भया` कांड से लेकर हैदराबाद की पशु चिकित्सक…

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सुनहरे भविष्य के सपने

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष……….. कालू की आँखों से आँसू बह रहे थे। वह सामने पड़े समाचार-पत्र के मुख्य पृष्ठ पर छपे…

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देशहित में वो लीन हर पल

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* भारत की पहचान हैं मोदी। भारतीयों की शान हैं मोदी। देशहित में वो लीन हर पल, शत्रुओं के शमशान हैं मोदी। नमो-नमो…

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कारगिल घात बाकी है

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. सारी बात बाकी है। काली रात बाकी है। सुबह किसने देखी, शह व मात बाकी है। मिट…

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अब कर्म करो

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* भोग ली है जिन्दगी अब कर्म करो, राजनीतिक प्रहरियों अब शर्म करो। दशकों वर्ष बीत चुके कुछ बाकी है, मन्दर-मस्जिद भूल मानवधर्म…

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बहुत याद आ रही है माँ

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** बहुत याद आ रही है माँ। जीना सिखला रही है माँl स्वयं पीकर कड़वाहट वो, मीठा दूध पिला रही है माँl भटक…

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विपरीत चल रही कश्तियां

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** अपनों की विकराल स्मृतियां। कष्ट निवारक नहीं आकृतियांl तुम्हें क्या कहें और कैसे कहें, बांटी थी सब लिखित प्रतियां। दण्ड भोग रहा…

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