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अमेरिका की छवि बनी डरपोक देश की

रोहित मिश्र
प्रयागराज(उत्तरप्रदेश)
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जिस प्रकार अमेरिका ने आतंकी संगठन तालिबान की अफगानिस्तान छोड़ने की समय सीमा को एक दिन पहले ही पूरा कर दिया है,उससे तो यही संदेश पूरे विश्व में गया है कि विश्व का ताकतवर देश एक आतंकी संगठन से डर गया है। अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान में भारी मात्रा में हथियारों का जखीरा छोड़ जाना जैसे आतंकियों को आधुनिक हथियार भेंट करना है। अमेरिका कहता है कि हमारा काम आतंकवाद खत्म करना है,किसी देश का निर्माण करना नहीं है,तो सऊदी अरब,कतर में कौन-सा आतंकवाद खत्म करना है,जो वहाँ अपने सैन्य शिविर स्थापित किए हैं ? तालिबान को मान्यता देना या उसे खुली छूट देना-आतंकवाद को समर्थन करना होगा। तालिबान का अफगानिस्तान में स्थापित होना विश्वभर के लिए खतरे की घंटी के समान है,क्योंकि तालिबान सत्ता कायम करने के बाद परमाणु बम हासिल करने की कोशिश करेगा। यह उसे आसानी से पाकिस्तान के जरिए मिल जाएगा,जो मानव अस्तित्व के लिए जलजला साबित होगा। अब अमेरिका को मानवतावाद का पाठ पढ़ाना बंद कर देना चाहिए,क्योंकि उसने खुद महिला विरोधी तालिबान की सत्ता को स्थापित करने में सहयोग किया है। आज पूरे विश्वभर में अमेरिका की छवि बस एक डरपोक देश की बनकर रह गई है।

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