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एक मुसाफिर लिए तिरंगा

जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
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एक हाथ में लिए तिरंगा दूजा वेद कुरान लिए,
एक मुसाफिर घूम रहा है दिल में हिंदुस्तान लिए।

जन हित निज सर्वस्व छोड़ जो देश देश में भटक रहा,
जाता उसी देश में जिसमें काम हमारा अटक रहा।
बना रहा है दोस्त सभी को भारत भू के उपवन का,
सब पर रंग चढ़ा देता है तीन रंग के जन गण का।
मन से कर्म बचन मय वाणी एक नयी पहचान लिए,
एक मुसाफिर घूम रहा है दिल में हिंदुस्तान लिए…॥

तिमिर गुफा से ले भारत को दीप शिखा चढ़ने वाला,
सपने सवा अरब जन गण की आँखों में गढ़ने वाला।
दुनिया को सदमार्ग दिखाता वेद मार्ग के दर्शन का,
भारत को बतलाता है वो सच्चा केंद्र निवेषण का।
द्वार सभी के लिए खुले हैं मैत्री के प्रतिमान लिए,
एक मुसाफिर घूम रहा है दिल में हिंदुस्तान लिए…॥

मंद-मंद उठ रही हवा अब भारत माता के बल की,
विभा नर्मदा कावेरी की गंगा यमुना के जल की।
शक्ति प्रदर्शन ध्येय नहीं है वो उत्थान चाहता है,
अपनी भारत माता की दुनिया में शान चाहता है।
क्षमा शीलता करुणा के संग भारत का सम्मान लिए,
एक मुसाफिर घूम रहा है दिल में हिंदुस्तान लिए…॥

हुआ नहीं जो अभी यहाँ अब भारत में संभव होगा,
आसमान से बातें करता भारत का वैभव होगा।
तप कर ये सोना निकला है भ्रष्टाचार मिटाने को,
सदियों से खोयी ताकत को वापस घर में लाने को।
हलधर ने कविता लिख दी मोदी जी का संज्ञान लिए,
एक मुसाफिर घूम रहा है दिल में हिंदुस्तान लिए…॥

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