डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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नारी और जीवन (अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस)….

प्रतिभा अपने ऑफिस में लैपटॉप पर कुछ काम कर रही थी। तभी उसने पास के केबिन से नेहा की आवाज सुनी,जो फ़ोन पर अपने बेटे गोल्डी को किसी प्रश्न का उत्तर समझा रही थी और एक हाथ से माउस पकड़ कर कंप्यूटर पर ऑफिस का कुछ काम भी निपटा रही थी। यह उसकी रोज की दिनचर्या थी,कभी टाई कहाँ रखी यह बताती। दादी को परेशान मत करना,बाहर खेलने मत जाना..ऐसी कई हिदायत देती हुई नेहा अक्सर अपने काम करती रहती हैं। नेहा प्रतिभा की सहकर्मी थी। अभी ३ वर्ष पहले ही एक दुर्घटना में उसके पति आदि का देहांत हो चुका था। अब घर में नेहा के वृद्ध हो चुके सास-ससुर और उसका ७ वर्ष का १ बेटा गोल्डी रह गया था। सारी जिम्मेदारी नेहा पर आन पड़ी थी।
अरे ! प्रतिभा मैडम इंग्लैंड की मुद्रा क्या है ?अचानक नेहा ने आवाज दी। आज गोल्डी का टेस्ट है ऑनलाइन। वो अटक गया है।
प्रतिभा ने हँस कर कहा-क्यों आज फिर बच्चे को ऑनलाइन नकल करा रही है। वैसे पाउंड होती है। तू सब काम ऑनलाइन ही निपटा देती है,यहां से जाकर पार्ट टाइम शाम को कोचिंग पढ़ाती है। बच्चे को समय कब देती होगी।
नेहा बोली,ऑनलाइन वीडियो कॉल पर बात करती हूँ,यह सब उसके भविष्य के लिए ही तो कर रही हूँ।मुझे तो अब लगता है मैं तो उसकी ऑनलाइन वाली माँ ही हूँ।
प्रतिभा अपने स्थान से उठकर उसकी केबिन में गई देखा-नेहा अपनी सास से कह रही थी,आपकी शुगर की दवाई मैं लेते आऊंगी।
एकसाथ इतने काम निपटाते देख इस ऑनलाइन माँ में प्रतिभा को अचानक दुर्गा माँ की तरह ८ भुजाएँ दिखाई देने लगी। जिसके हाथ में लेपटॉप, गाड़ी,मोबाइल,बेलन,बच्चे की किताब,पूजन की थाली,फ़ाइल,सब्जी का थैला,सासू माँ की दवाई नजर आ रहे थे।
प्रतिभा ने हँसते हुए हाथ जोड़कर कहा-धन्य है ऑनलाइन माँ।
परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७२ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)व एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। आपका कार्य क्षेत्र-शिक्षण(नौकरी)है। लेखन विधा-कविता, लघुकथा और लेख है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।” डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है।