कुल पृष्ठ दर्शन : 313

You are currently viewing कोयल अचानक मौन हो गई

कोयल अचानक मौन हो गई

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

*******************************************

भारत रत्न कोकिल कंठी गायिका व सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका रही हैं,जिनका छ: दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा रहा। हालाँकि, लता जी ने लगभग ३० से ज्यादा भाषाओं में फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाए हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है। अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फ़िल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है। लता की जादुई आवाज़ के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं। टाईम पत्रिका ने उन्हें भारतीय पार्श्वगायन की अपरिहार्य और एकछत्र साम्राज्ञी स्वीकार किया है। जन्म के समय लता का नाम ‘हेमा’ रखा गया था लेकिन बाद में बदलकर लता रखा गया। लता अपने माता-पिता की पहली संतान है,साथ ही मीना,आशा भोंसले, उषा और हृदयनाथ उनके भाई-बहन है।
लता मंगेशकर ने गायिकी का पहला पाठ पिता से सीखा था। ५ साल की उम्र में लता जी ने अपने पिता के संगीतमयी नाटक के लिए अभिनेत्री का काम करना शुरू किया था। विद्यालय के पहले दिन से ही उन्होंने बच्चों को गाने सिखाने शुरू कर दिए थे। जब शिक्षकों ने रोकने की कोशिश की तो वे बहुत गुस्सा हो गई थीं,और उन्होंने विद्यालय ही छोड़ दिया था।
१३ साल की उम्र में १९४२ में एक मराठी फिल्म के लिए उन्होंने गाना रिकॉर्ड किया। फिल्म प्रदर्शित हुई लेकिन किसी कारणवश गाना हटा दिया गया। इस बात से लता जी बहुत आहत हुईं। इसी साल लता जी के पिता की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। लता जी घर में बड़ी थीं,तो सारी ज़िम्मेदारी उनके कंधों पर पर ही आ गई।
१९४५ में लता जी मुंबई आ गईं और अमानत अली खान से प्रशिक्षण लेने लगीं| लता जी ने १९४७ में हिंदी फिल्म ‘आपकी सेवा में’ के लिए भी १ गाना गया, लेकिन किसी ने उनको ध्यान में नहीं किया। उस समय गायिका नूर जहां, शमशाद बेगम, ज़ोहराबाई अम्बाले वाली का दबदबा था। उनके सामने लता जी की आवाज काफी पतली और दबी हुई लगती थी। १९४९ में लता जी ने लगातार ४ सफल फिल्मों में गाने गए और सबमें उनको सराहा गया। इसमें से ‘महल’ फिल्म का गाना ‘आएगा आनेवाला’ महा सफल हुआ और लता जी ने अपने पैर हिंदी सिनेमा में जमा लिए। ६० वर्ष के कार्यकाल में लता जी ने हज़ारों महा सफल गीत लगभग सभी नायिकाओं के लिए गाए।
लता जी को सर्वाधिक गीत रिकार्ड करने का भी गौरव प्राप्त है। फ़िल्मी गीतों के अतिरिक्त आपने ग़ैरफ़िल्मी गीत भी बहुत खूबी के साथ गाए। जिसे आपका पहला शाहकार गीत कहा जाता है वह था ‘आएगा आने वाला’,जिसके बाद आपके प्रशंसकों की संख्या दिनों-दिन बढ़ने लगी। ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाया हुआ उनका गीत सुनकर पं. नेहरू की आँखों में आँसू आ गए थे।
सच में,लता जी भारत की आवाज़ थीं। पद्मश्री से लेकर भारत रत्न तक के समस्त सम्मान-पुरस्कार प्राप्त करने वालीं सरस्वती स्वरूपा कोकिल कंठी गायिका लता मंगेशकर ६ फरवरी २०२२२ को इस दुनिया से महाप्रयाण कर गईं। उन्हें अनंत श्रद्धांजलि।

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

Leave a Reply