वाणी वर्मा कर्ण
मोरंग(बिराट नगर)
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सुबह की गुनगुनी धूप-सी,
खुशियाँ
देती है दस्तक,
कभी-कभी हमें
क्यों नहीं रुक जाता ये पल,
सदा के लिए
यही कहीं,
हमारे आस-पास।
चंद लम्हों का ये जीवन,
कुछ जिम्मेदारियाँ
तो कुछ अवसर,
अक्सर खो जाते
बातों-बातों में,
आओ रोक लें इन पलों को
यही कहीं,
हमारे आस-पास।
जो न हो अपनों का साथ,
कैसे कटे जीवन
जी लें इन पलों को भरपूर,
जितने भी पल हों पास
फिर भी मन कहे,
ये पल न बीते,रहें
यही कहीं,
हमारे आस-पास।
कुछ भी नहीं शाश्वत,
इस जहां में
पल-पल बदलता पल,
कहता जाए
बस साथ चलो मेरे,
खुशियाँ मिलेंगी तुम्हें।
यही कहीं,
हमारे आस-पास॥