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गुरुदेव को नमन मेरा

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

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आचार्य श्री विद्यासागर जी को समर्पित……..

हे धरती के देव दिगम्बर,
तुम्हें नमन मेरा।
तेरे पदचिन्हों पर गुरुवर,
रहे गमन मेरा॥

भारत की चैतन्य धरोहर,
जिन्मुद्रा धारी।
महावीर की महाविरासत,
प्राणों से प्यारी।
जिनशासन जयवंत रहेगा,
चरित लाख तेरा।
तेरे पदचिन्हों पर गुरुवर,
रहे गमन मेरा,
हे धरती के देव दिगम्बर…॥

चेतन मूलाचार ही हो,
समयसार तुम हो।
कुंद-कुंद के नियम निभाते,
नियमसार तुम हो।
आगम चक्षु महासंत के,
चरणों मन मेरा।
तेरे पदचिन्हों पर गुरुवर,
रहे गमन मेरा,
हे धरती के देव दिगम्बर…॥

सम्यकदर्शन ज्ञान चरण,
त्रय देव कहते हैं।
ये तीनों ही सदा आपमें,
शोभा पाते हैं।
परम धन्य गुरुदेव हमारे,
आभामयी तेरा चेहरा।
तेरे पदचिन्हों पर गुरुवर,
रहे गमन मेरा,
हे धरती के देव दिगम्बर,
तुम्हें नमन मेरा॥

परिचय-संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।