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गौरवान्वित ‘हिन्दी’

सौ. निशा बुधे झा ‘निशामन’
जयपुर (राजस्थान)
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हिन्दी का तो स्पंदन प्यारा,
हिन्दी का वैभव न्यारा
आलोकित रूप से सज-धजकर,
विश्व में ज्योति के साथ खड़ी।

शब्द-शब्द रस हैं घोले,
स्वर, छंद, दोहे, सोरठे
गुणगान देखे,
कहानी-निबंध-उपन्यास भरे हैं।

नभ को विभोर करें,
धरा में भीतर सीप में जैसे
मोती गढे हैं।
गुंजायमान है हिन्दी,
तुम्हें नमनः प्रणाम है हिन्दी॥