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जलदान एवं रक्तदान

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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नीर सभी हित चाहिए, रोगी जन हित रक्त।
रक्त नीर द्वय दानहित, बनिए आप सशक्त॥

सृष्टि बचे पानी बचे, जान बचे परमार्थ।
रक्त और जलदान का, समझे जन भावार्थ॥

प्यासे को पानी मिले, उत्तम जल का दान।
रोगी का जीवन बचे, रक्तदान शुभ मान॥

सृष्टि प्रकृति संसार हित, सदा नीर अनिवार्य।
रक्तदान परमार्थ हित, मानव हित स्वीकार्य॥

जल से जीवन जानिए, जल बिन व्यर्थ गरूर।
दुर्घटना या रोग हो, चाहें रक्त जरूर॥

नीर मर्त्य का जन्मदा, मानव रक्त विशिष्ट।
दान करो जल रक्त का, वरदा हों हरि ईष्ट॥

रक्तदान है पुण्य वर, जल का उत्तम दान।
स्वयं कीजिए नर पहल, सबको देना ज्ञान॥

तीन भाग जल के सखे, धरती देह सतोल।
नीर यथावत रक्त में, समझ दान अनमोल॥

‘जीव द्रव्य’ जल रक्त द्वय, मानस जीवन हेतु।
मानें जनहित ‘विज्ञ’ जन, दान मान जन सेतु॥

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा है। आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) है। सिकन्दरा में ही आपका आशियाना है।राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन (राजकीय सेवा) का है। सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैं। शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया है।आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः है।