हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
************************************
सूर्य की किरणें,
नव उदय का संदेशा लाईं है
उदित हुआ संसार,
जीवन में यह भोर
नवसृजन करने आईं हैं।
यह भोर की बेला आरम्भ है,
सुबह हो गई जीवन की
अंधियारों में यह नई रोशनी लाईं है,
जीवन में यह भोर
नवसृजन करने आईं हैं।
थक हार कर सोए हुए इंसान को,
यह भोर फिर सतरंगी आसमान लाईं है
जिंदगी में हताश हुए लोगों को, सकारात्मकता का संदेश देने आईं है
जीवन में यह भोर
नवसृजन करने आईं हैं।
लाख अंधेरा छाए या फिर घनघोर वर्षा आए,
उजालों के इस आसमान में सब सुंदर हों जाएं।
नव कपोलों में भी ज़ीने की आशा बढ़ने यह आई है,
जीवन में यह भोर
नवसृजन करने आईं हैं…॥