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जी चाहता है

पुष्पा अवस्थी ‘स्वाति’ 
मुंम्बई(महाराष्ट्र)

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जी चाहता है मेरा,भारत नव निर्मित हो,
शहरों से गांवों तक-जन जन का हित हो।
जी चाहता है…॥

हर घर में रोजी-रोटी हो,जन जन बनें सशक्त,
अपराध मुक्त समाज हो,सब हों देशभक्त।
जात-पांत और भेद-भाव से,हृदय रहित हो,
जी चाहता है…॥

जय भारत गूंजे देश-देश में,आगे प्रवृत्त हों,
विश्वगुरु होने का,हर स्वप्न सत्य हो।
सबका विकास साथ,जनमानस में अंकित हो,
जी चाहता है…॥

रंग-बिरंगे परिधानों से,धरा रहे शोभित,
अम्बर भी अमृत वर्षा से,करे उसे पोषित।
धन-धान्य से युक्त सब,किसान भी पूरित हो,
जी चाहता है…॥

स्वप्न हो जाएगा पूरा,कह रहा दिवाकर,
युवा पीढ़ी साथ आओ,चलो अग्रसर।
सौंदर्य युक्त भारत को,जो देखे मोहित हो,
जी चाहता है मेरा…भारत नव निर्मित हो॥

परिचय-पुष्पा अवस्थी का उपनाम-स्वाति है। आपकी शिक्षा एम.ए.(हिंदी साहित्य रत्न)है। जन्म स्थान-कानपुर है। आपका कार्यक्षेत्र स्वयं का  व्यवसाय(स्वास्थ्य सम्बंधी)है। वर्तमान में पुष्पा अवस्थी मुंम्बई स्थित कांदिवली(वेस्ट)में बसी हुई हैं। इनकी उपलब्धि बीमा क्षेत्र में लगातार तीन साल विजेता रहना है। प्रकाशित पुस्तकों में-भूली बिसरी यादें(ग़ज़ल-गीत कविता संग्रह)एवं तपती दोपहर के साए (ग़ज़ल संग्रह)है। 

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