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दीजिए मन को भोजन

सत्यम सिंह बघेल
लखनऊ (उत्तरप्रदेश)

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सोचिये,यदि हम अपने शरीर को १५-२० दिन भोजन देना बंद कर दें,तब क्या होगा ? तब कमजोरी आ जाएगी,शरीर काम करना बंद कर देगा,हमारी बात मानना बन्द कर देगा,हमारे संकेतों को पूरा नहीं करेगा। काम कब करता है ? शरीर ऊर्जावान कब होता है ? शरीर का भोजन क्या है ? अनाज,फल-सब्जी इत्यादि शरीर की खुराक है। जब हम शरीर को खुराक देते हैं,प्रतिदिन भोजन करते हैं,तब हमारा शरीर काम करता है। जो संकेत देते हैं,उसे पूरा करता है,हमारा कहा मानता है और यदि शरीर को भोजन न मिले तो शरीर काम करना बंद कर देगा।
इसी तरह मन की खुराक,मन का भोजन भी आवश्यक है। मन का भोजन क्या है ? मन की खुराक क्या है? मन की खुराक है,प्रेरक विचार, लेख और किताबें पढ़ना,सफल लोगों की जीवनी पढ़ना,निरंतर नया सीखते रहना। जब तक हम मन को उसकी खुराक नही देंगे,उसका भोजन नहीं देंगे,तो मन पूरी ऊर्जा और क्षमता के साथ कैसे काम करेगा ? बिल्कुल नहीं करेगा। जैसे बिना खुराक के तन काम नहीं कर सकता,वैसे ही बिना खुराक के मन भी काम नहीं करने वाला, लेकिन हमने तो मन को खुराक देना ही बन्द कर दिया है। दे भी रहे हैं तो ४-५ महीने में एक बार वो भी मुश्किल से,ऐसे में मन कैसे काम करेगा ? इस स्थिति में जिस शक्ति, ऊर्जा,उद्देश्य व रचनात्मकता के साथ काम करना चाहिए,नहीं करेगा,क्योंकि मन को भी तन की तरह ही हर रोज खुराक चाहिए, भोजन चाहिए। यदि हम चाहते हैं कि मन पूरी क्षमता के साथ,पूरी रचनात्मकता के साथ काम करे,तो उसे हर रोज खुराक देना ही होगी। जैसे हम तन को सुबह-शाम एक तय समय में भोजन देते हैं,वैसे ही मन को भी हर रोज उसका भोजन देना ही होगा। हम जिस तरह भोजन योजना बनाते हैं,वैसे ही मन की खुराक तैयार करनी होगी।
जिस तरह स्वस्थ शरीर के लिए हानिकारक भोजन त्यागकर स्वास्थ्यवर्धक भोजन ग्रहण करते हैं,वैसे ही स्वस्थ,शक्तिशाली,ऊर्जावान व क्षमतावान मन के लिए प्रेरक व सकारात्मक विचारों को ग्रहण करना होगा, यही मन का सात्विक भोजन है। हर रोज प्रेरक विचार पढ़ें,किताबें पढ़ें,नया सीखें व नया अनुभव अर्जित करें,निरंतर हर रोज ऐसा करें। एक समय बाद आप स्वयं में अप्रत्याशित बदलाव महसूस करेंगे,जो किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। तब आपको मन के भोजन की शक्ति का एहसास होगा।

परिचय-सत्यम सिंह बघेल का जन्म ५ अप्रैल १९९० को सिवनी (म.प्र.)में हुआ है। निवास लखनऊ (उ.प्र.)में है। स्नातक (कम्प्यूटर विज्ञान) तक शिक्षित श्री बघेल की लेखन विधा-आलेख(विशेष रूप से संपादकीय लेख), कविता तथा लघुकथा है। कईं अखबारों, वेब पोर्टल और स्मारिका में भी रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। १५ से अधिक पुस्तकों (कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि साझा संकलनों) का सम्पादन भी कर चुके हैं। बतौर सम्प्रति फिलहाल आप एक प्रकाशन में संस्थापक, प्रकाशक,प्रबन्धक होने के साथ ही प्रेरणादायक वक्ता भी हैं। 

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