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देखो यह है हिंदुस्तान

स्वराक्षी ‘स्वरा’
खगड़िया (बिहार)
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गणतंत्र दिवस : देश और युवा सोच…

देखो यह है हिंदुस्तान,
खतरे में है यंगिस्तान।
क्षणिक-क्षणिक सी पीड़ाओं पर,
दे देते हैं ये तो जान॥
देखो यह है हिंदुस्तान…

आज युवाओं के सर चढ़कर भूत लोभ का बोल रहा,
आधुनिकता के चोले में है अंग-अंग को खोल रहा।
रिश्तों के पानी में देखो स्वार्थ-जहर को घोल रहा,
भरी जवानी में ही देखो हर लेते हैं अपने प्राण।
देखो यह है हिंदुस्तान…॥

डूबते जाते प्यार के मद में उम्र की सीमा तोड़कर,
बात-बात पर झगड़ा करके चल देते घर छोड़ कर।
ठुकरा देते बाप की खुशियाँ माता से मुँह मोड़कर,
चंद सिक्कों की खातिर देखो बेच रहे हैं ये ईमान।
देखो यह है हिंदुस्तान…॥

हैं संघर्ष की बात को भूले, बस वो जाने जीत व हार,
जीतने वाला खुशियाँ मनाता, हारने वाला देता मार।
कोई धर्म न कोई मज़हब, बस इनको है जिस्म से प्यार,
जिनकी जितनी ऊँची कीमत, उनका उतना है सम्मान।
देखो यह है हिंदुस्तान…॥

किनके भरोसे हम सब संभलें, जब बूढों को शर्म नहीं,
दिखते हैं सन्तों के जैसे, पर वो करते धर्म नहीं।
‘स्वरा’ नाम है राम-रहिमन, पर उन जैसा कर्म नहीं,
तभी तो उम्र के इस पड़ाव पर, मिलता है इनको अपमान।
देखो ये है हिंन्दुस्तान…॥

जागो देश के वीरों जागो, त्यागो तम के अँधियारे,
फैलाओ फिर भारत-भू पर सुसंस्कृति के उजियारे।
तुम चमन के फूल बनोगे, कल के दिन प्यारे- प्यारे,
आओ मिलकर कसमें खाएं, रखेंगे भारत का मान।
देखो ये है हिंदुस्तान…॥

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