लोकार्पण…
पटना (बिहार)।
लोक-कल्याण की भावना से जीवन व्यतीत करने वाले सज्जन पुरुषों अथवा देवियों की आत्मकथाएँ समाज के लिए प्रेरणादायी होती हैं। इसीलिए आत्म-कथाओं का व्यापक महत्त्व है। बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे सुबुद्ध लेखक इन्दु भूषण सहाय, सभी प्रकार की वासनाओं और व्यसनों से जीवन-पर्यन्त दूर रहे, वैसे ही एक विनम्र और साधु पुरुष है। उनकी आत्म-कथा अवश्य ही समाज को, विशेष रूप से नयी पीढ़ी को प्रेरणा देगी।
यह बात बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में प्रकृति-राग के विनम्र कवि आचार्य कलक्टर सिंह ‘केसरी’ की जयंती पर श्री सहाय की पुस्तक ‘जिंदगी का सफ़र’ का लोकार्पण करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने केसरी जी को श्रद्धा पूर्वक स्मरण किया और कहा कि उन्हें ‘केसरी’ उपनाम राष्ट्रकवि ‘दिनकर’ ने दिया था। दोनों कवियों में अद्भुत प्रीति थी।
लोकार्पण करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री पद्मभूषण डॉ. सी.पी. ठाकुर ने कहा कि जीवन में गति और उत्साह न हो तो उसे जीवन नहीं कहा जा सकता। जो लोग जीवन के हर पक्ष को सकारात्मक दृष्टि से देखते हैं, अच्छे कार्य करते हैं, उनका जीवन आनन्दप्रद और समाजोपयोगी हो जाता है। इस मौके पर प्रतिभाशाली युवा साहित्यकार डॉ. नवनीत कुमार को ‘आचार्य कलक्टर सिंह ‘केसरी’ स्मृति सम्मान’ से विभूषित किया गया।
दूरदर्शन बिहार के कार्यक्रम प्रमुख डॉ. मनोज प्रभाकर, सम्मेलन के वरीय उपाध्यक्ष जियालाल आर्य, डॉ. शंकरप्रसाद, डॉ. अर्चना त्रिपाठी और प्रभा ज्योति ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में वरिष्ठ शायर आरपी घायल, प्रो. सुनील कुमार उपाध्याय, वसीम औरंगाबादी, डॉ. प्रियंका सिन्हा, सिद्धेश्वर जी और पंकज प्रियम आदि ने रचनाओं का पाठ किया।
मंच संचालन ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।