तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान)
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नव वर्ष विशेष….
नव वर्ष की नव बेला में
प्रेम भरा अभिनंदन हो,
नव वर्ष का करें हम स्वागत-
गए-वर्ष को वंदन हो…।
चारों ओर खुशियों का मेला
खिले पुष्प आशाओं के,
जीवन सुगन्धित चंदन हो-
नव वर्ष का अभिनंदन हो…।
भूल जाएं हम पिछले कल को
गले लगा लें आज को,
आनन्दित सबका मन हो-
नव-वर्ष का अभिवंदन हो…।
करें माफ़ हम सबकी ग़लती,
मन का आँगन साफ़ करें,
मन में सत्य का दर्शन हो-
नव-वर्ष का अभिनन्दन हो…।
रात अंधियारी बीत गई है
प्रभात का सूरज चमका है,
कहीं कोई ना अब क्रदन हो-
नव-वर्ष का अभिनन्दन हो…।
कोई आँख कभी ना नम हो
जीवन में कोई ग़म ना हो,
ख़ुशियों भरा हर हो दामन-
नव-वर्ष का अभिनन्दन हो…।
स्वागत करें हम नव-वर्ष का
गत वर्ष को अलविदा कहें।
प्रफुलित मन आँगन हो,
नव-वर्ष का हो अभिनंदन हो…॥
परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।