संदीप धीमान
चमोली (उत्तराखंड)
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नाग गले की माला है
बिच्छू कुंडल है तेरे,
संतुष्टि भी साथ तेरे
जग बवंडर है तेरे।
भूत-प्रेत साथी तेरे
कंठ विष अंदर है तेरे,
अमृत बहाने वाले
हाथ कमंडल है तेरे।
रुप मोहिनी दास तेरा
भस्म तन पर है तेरे,
स्वर्ण लंका दे दान में
रुप दिगम्बर है तेरे।
श्मशानी भूतों के राजा
अप्रियों के तुम प्रिय,
जग मिले न प्रीत जिसे
उर प्रीत अंदर है तेरे।
ध्यान वैराग्य राग तेरे,
चित्त शांत अंदर है तेरे।
तांडव नृत्य रुद्र रुप में,
अंदाज भयंकर है तेरे॥