सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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आज विद्यालय में पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। सभी विद्यार्थी सुबह ही विद्यालय परिसर में पहुंच गए हैं और जगह-जगह सफाई करने लगते हैं। सभी कमरों में, खेल के मैदान में, क्यारियों में सफाई करते हुए पर्यावरण स्वच्छता का परिचय दिया। विद्यार्थियों सहित शिक्षकों ने भी मार्गदर्शन कर अपनी अहम भूमिका निभाई।
रितिका-सुप्रभात मैडम जी।
अध्यापिका-सुप्रभात बच्चों।
ऋषभ-सुप्रभात सर जी।
अध्यापक-सुप्रभात बच्चों।
इतने में सभी अध्यापक- अध्यापिका विद्यालय परिसर में एकत्रित होते हैं। पर्यावरण दिवस के लिए मीटिंग हॉल में दरियाँ और कुर्सियाँ लगाई जाती हैं। पर्यावरण संबंधित चित्रों से हॉल व कक्षा-कक्ष को सजाया जाता है।मुख्य अध्यापिका जी भी कार्यालय में बैठकर आज की रूपरेखा के बारे में बातचीत करने वाले हैं। थोड़ी देर बाद प्रार्थना-सभा की घंटी बजती है। सभी बच्चे और शिक्षकगण प्रार्थना-सभा में एकत्रित हो जाते हैं। २०-२५ मिनट के उपरांत प्रार्थना सभा समाप्त हो जाती है। इसके बाद सभी अपनी-अपनी कक्षाओं में पहुंच जाते हैं। आधे घंटे की अवधि के बाद सभी अपनी कक्षाओं से बाहर जाते हैं और पौधरोपण करते हैं। इतने में अभिभावकगण और मुख्य अतिथि भी स्कूल परिसर में पहुंच जाते हैं।
सभी मुख्य अतिथि एवं अभिभावकों का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं और आदरपूर्वक हॉल में प्रवेश करवाया जाता है।
सर्वप्रथम अध्यापिका स्नेहा कुमारी मुख्य अतिथि सहित सभी अभिभावकों का उपस्थित होने के लिए अभिनंदन-स्वागत करती है। हाल में उपस्थित सभी जनों का बच्चों का अभिनंदन संबोधन किया जाता हैं। सर्वप्रथम मुख्य अतिथि को टोपी पहनाकर और पौधा भेंट करके स्वागत किया जाता है। माँ सरस्वती के आगे माल्यार्पण कर दीपक प्रज्वलित किया जाता है। बच्चों द्वारा सरस्वती वंदना गायी जाती है. फिर मीटिंग के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी जाती है। तत्पश्चात आज के कार्यक्रम के बारे में अवगत कराया गया।
इसके बाद मुख्याध्यापिका से इजाजत लेकर कार्यक्रम को शुरू किया जाता है।
सर्वप्रथम छात्रों में से शिवांशी ने भाषण देकर कार्यक्रम की शुरूआत की, शीर्षक था- ‘प्लास्टिक मुक्त जीवन-शैली’, जिसमें प्लास्टिक के कु-प्रभावों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई।
इसके बाद दिव्यांशु ने ‘डाल-डाल पात-पात’ एक पहाड़ी गाना गाकर मनोरंजन किया। इसके बाद अध्यापिका रेणुका जी ने ‘असांरा हिमाचल छैल छबीला’ पहाड़ी गाना गाकर सबको भाव-विभोर कर दिया। फिर दसवीं कक्षा के बच्चों ने लघु नाटिका ‘पृथ्वी को हरा भरा बनाएं’ प्रस्तुत करके सबका मन मोह लिया।
शिवम ने एक कविता पढ़कर पर्यावरण के विषय को रसमय बना दिया। शीर्षक था-‘पेड़ हमारे मित्र’
“पेड़ हमारे मित्र हैं, पेड़ों से धरा विचित्र है
पेड़ों पर पक्षी है रहते, पेड़ हमें ठंडी हवा हैं देते…।”
इस तरह अन्य बच्चों ने नदियों पर, पॉलिथीन पर, पेड़ों पर धरती की हरियाली पर पोस्टर बनाए।स नारा लेखन प्रतियोगिता भी की गई।
एक छात्रा दिव्यांशी ने ‘जल है तो जीवन है’ विषय पर निबंध लिखा और अपने विचार प्रस्तुत किए।
उसने जल के बारे में अपनी भूमिका विस्तार से प्रस्तुत करते हुए जल के महत्व, जल की स्वच्छता और जल के उपयोग के बारे में अपने विचार दिए।
इसके बाद मुख्य अतिथि शोभा सिंह ने भाषण दिया। बच्चों को पर्यावरण की सुरक्षा और पर्यावरण के बचाव के लिए उचित कदम उठाने के बारे में अपना वक्तव्य प्रकट किया। उन्होंने कहा कि, हमें नदियों को साफ-सुथरा रखना और नदियों के किनारे किसी प्रकार का कूड़ा-कचरा डालना उचित नहीं है, जिससे हमारी जीवनदायिनी नदियाँ कष्टकारी (बाढ़ या सूखा ग्रस्त) बन जाती हैं। प्रदूषित नदियों के जल से हानिकारक प्रभाव होते हैं। नदियों में रहने वाले कई प्रकार के जीव-जंतु भी प्रदूषित जल ग्रहण करके मर जाते हैं।
तत्पश्चात मुख्य अध्यापिका ने बच्चों को बताया कि हमें हर हाल में पर्यावरण की सुरक्षा करनी चाहिए। पर्यावरण को बचाने के लिए हमें पॉलिथीन एवं प्लास्टिक की वस्तुओं को कम से कम प्रयोग करना चाहिए। हमें पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए पूरी तरह भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।प्रकृति से मनुष्य है, मनुष्य से प्रकृति नहीं है। इस धारणा के अनुसार हमें प्रकृति की सेवा करनी चाहिए। इसे सुन्दर, स्वच्छ हरा-भरा रखना हमारा कर्तव्य होना चाहिए।
मुख्य अध्यापिका दीपिका जी ने कहा कि हर एक चीज को सही ढंग से प्रयोग करना चाहिए। जैसे पॉलिथीन की पैकिंग का प्रयोग हमें किसी चीज को कवर करने के लिए प्रयोग करना चाहिए। प्लास्टिक की बोतलों और कूड़ा- -कचरा हमें उचित जगह पर रख, इसका निष्पादन कर जला देना चाहिए। सभी को कम से कम अपने जन्मदिन के दिन १ पौधा जरूर लगाना चाहिए। कीटनाशक छिड़काव कम करें, गोबर खाद का प्रयोग अधिक करें।
अंत में अध्यापिका नूतन जी ने एक उदाहरण देकर कहा-हम कहीं घूमने गए थे और वहाँ हमने देखा कि जंगल पूरी तरह से नष्ट कर दिए गए हैं। वहाँ पर हरियाली होती थी, अभी खत्म हो गई है। आए दिन जंगली जानवरों का खतरा रहता है और जानवर गाँव की तरफ भोजन-पानी के लिए पलायन करते हैं, जिससे किसी भी दुर्घटना को न्योता है। एक दिन बाघ ने आदमी पर हमला कर दिया और बुरी तरह घायल कर दिया।उन्होंने कहा, कि हमारे गाँव में १ भालू खेतों में काम करने वाले लोगों पर झपटा, जिससे १ आदमी जख्मी हो गया। गनीमत रही कि उसे समय रहते बचा लिया गया, नहीं तो वह जीवन से हाथ धो बैठता।
इसके बाद मुख्य अध्यापिका और अतिथि द्वारा बच्चों को आज के कार्यक्रम के लिए उपहार वितरित किए गए। पर्यावरण संबंधित चित्रित पुस्तकें वितरित कर बच्चों का उत्साह वर्धन किया गया। पर्यावरण सुरक्षा शपथ ग्रहण करके राष्ट्रगान गाया गया। इसके बाद चाय-पान कराकर बच्चों को मिठाइयाँ बांटी गई। बच्चों के कार्य की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई और सबको पर्यावरण के बारे में सचेत रहने के लिए कहा गया।
अन्त में अध्यापिका स्नेहा कुमारी ने सबका धन्यवाद प्रस्तावित किया।
परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।