राधा गोयल
नई दिल्ली
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शीतल छाँव जो देते थे, उन सब वृक्षों को काट दिया,
नीलगिरी के पेड़ों से सारे उपवन को पाट दिया
नीलगिरी या कहो यूकेलिप्टस, दोनों एक पेड़ के नाम,
न ही फूल-न छाया देते, धरा का जल सोखने का काम।
नीम, आम, पीपल, जामुन और वटवृक्षों को काट दिया,
कांक्रीटों के महल बनाए, तालाबों को पाट दिया
तप्त धूप में थके पथिक को, शीतल छाँव दिया करते थे,
जिनकी कोटर में पंछी सुख से विश्राम किया करते थे।
जिन वृक्षों के फल खाकर, सबकी क्षुधा शांत होती थी,
जिनसे ऑक्सीजन मिलती थी, और शीतलता भी मिलती थी
आज मनुज ने विकास के नाम पर, कितना बड़ा विनाश किया,
जो ऑक्सीजन उत्सर्जन करते, उन वृक्षों को काट दिया।
कोई उनसे पूछे किस लालच में ऐसा काम किया ?
कार्बन अवशोषित करने वाले वृक्षों को काट दिया
घर में ए.सी लगवा कर खुद को आधुनिक समझ बैठा,
आधुनिकता के बल पर, रहता था वह ऐंठा-ऐंठा।
ए.सी. भी जब काम न आया, तब भी अक्ल नहीं आई,
लस्सी-शरबत खूब पी लिया, पर राहत न मिल पाई।
ए.सी. से भी कार्बन निकले, तपती हुई हवा निकले,
लू के घने थपेड़ों से, सबके मुँह से हा-हा निकले।
ए.सी. से भी राहत न मिल पाई तभी समझ आया,
ऑक्सीजन देने वाले पेड़ों का मोल समझ आया
ऐ मानव तुमसे विनती, अब पेड़ काटना बंद करो,
अपने जीवन में हर मानव, २ पेड़ लगाना शुरू करो।
नहीं करोगे ऐसा तो एक दिन ऐसा भी आएगा,
गर्मी की प्रचण्ड ज्वाला में, सब स्वाहा हो जाएगा
तपती धरती तपस्विनी-सी ताक रही है अम्बर को,
थोड़ा जल बरसा दे मेघा, रोक दे घातक मंजर को।
तुमसे भी कहती है धरती, भू दोहन को बंद करो,
कंदमूल फल देने वाले वृक्ष लगाना शुरू करो
जगह-जगह पर मोबाइल के टावर भी अब लगे हुए,
किंतु पास में थे जो नीम और पीपल के वृक्ष काट दिए।
ऑक्सीजन ही नहीं मिलेगी, कार्बन को सोखेगा कौन ?
अभी समय है संभल जा प्राणी, और नहीं रहना अब मौन।
अब भी अगर नहीं जागा, तो महा-विनाश हो जाएगा,
भू-मण्डल से प्राणी का नामो- निशान मिट जाएगा॥