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प्यार मस्ताना है

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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एक रोज के इकरार करने से प्यार नहीं होता,
जन्मों का बंधन है यह तो
सिर्फ एक दिन में कैसे हो जाएगा,
प्यार दिवाना है, प्यार मस्ताना है।

दिलों की चाहत में बस तुम हो,
तेरे बिना कोई नहीं है
फिर प्रेम सिर्फ एक दिन का कैसे होगा!
प्यार दिवाना है, प्यार मस्ताना है।

हमारे यहाँ तो राधा-कृष्ण का प्रेम बंधन था,
जिसमें मर्यादा का संगम था
इतना प्यार कोई नहीं कर सकता, क्योंकि प्यार दिवाना है, प्यार मस्ताना है।

आजकल का दिखावा प्यार-फ़ैशन बन गया,
प्यार तपस्या है प्यार अमर है
प्यार करने वाले प्रेमियों की इस दुनिया में,
प्यार दिवाना है, प्यार मस्ताना है।

रोज़-डे, या चाकलेट-डे से प्यार नहीं होता,
दीवानों की मस्ती है यह प्रेमियों की बस्ती है।
यह सब मतवाले है प्रेमी हैं, क्योंकि
प्यार दिवाना है, प्यार मस्ताना है॥