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बिटिया रानी तू परियों जैसी

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’
जोधपुर (राजस्थान)
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गुड़िया तू परियों जैसी,
तेरी हँसी चाँदनी जैसी
तेरे कदमों से घर महके,
सपने तेरे हिमालय जैसे।

तू जब भी स्कूल से आए,
बापू को हर बात बताए
तेरी बातें कितनी सच्ची,
पढ़ने में तू बहुत ही अच्छी।

खुशियों को तेरी पंख मिलें,
रब तेरे हर दु:ख को हरे
तू न कभी कोई दर्द सहे,
मुस्कान सदा चेहरे पे रहे।

बेटी तू सच परियों जैसी,
इक सुंदर कविता जैसी
तू माँ की आँखों का नूर,
तू अपने बापू का गुरूर।

बापू को देख के तू मुस्काए,
मुस्कान तेरी बापू को भाए
‘शाहीन’ पिता को सब बतलाए,
बापू तुझ पर वारी जाए॥