डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’
जोधपुर (राजस्थान)
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नया सबेरा, नयी आशाएँ, नए संकल्प…
भोर आई अलबेली,
मन को भाए पहेली
गीत सुनाए सहेली,
जब गए हम देहली।
सुरमयी-सी रंगत लिए,
मनभावन धूप-छाँव
जब करते दिल की,
बात का जवाब लिए।
शब्दों की जादूगरी से,
मनमीत बनाए कोई
यहा खुशी पनपती,
खुशियाँ अपार कोई।
दर्द से भरा दिल लिए,
जब आवाज नयी कोई।
कली यहाँ तबस्सुम की,
शोर मचाए भोर कोई॥