हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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हिंदी और हमारी जिंदगी…
राष्ट्र का गौरव शोभित करने को,
फिर से हमको क्या लड़ना होगा ?
राष्ट्र भाषा के सम्मानित पद पर,
शासित हिन्दी को करना होगा।
अमृत महोत्सव आजादी का भी,
मनाकर क्यों हम बस शर्मिंदा हैं ?
दिला न सके जो न्याय माँ को तो,
फिर हम बेटे भी कहे को जिन्दा हैं ?
जुर्म हुए हैं और जलालत सही है,
दशकों से भारत में माँ हिन्दी ने
कभी अफगानी अंग्रेजी ने कुचला,
कभी अपमानित किया है सिंधी ने।
जापान में जापानी, चीन में चीनी,
तो भारत में हिन्दी राष्ट्र की भाषा हो
भारत बने फिर विश्वगुरु, जो सोचा है,
हिन्दी ही पूर्ण करेगी इस आशा को।
मशाल जलाते हैं मिलकर के आओ,
हिन्दी के सम्मान, प्रचार-प्रसार की
राष्ट्र भाषा का दर्जा दिलाने की खातिर,
आओ कुछ मदद लेते हैं सरकार की।
हिन्दी का हित चाहने वालों को अब,
मिलकर एक तो यारों हाँ होना होगा।
नहीं तो विदेशी भाषाओं का भार हमें,
सदियों तक यूँ ही निरंतर ढोना होगा।