सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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भक्ति, संस्कृति, और समृद्धि का प्रतीक ‘हिंदी’ (हिंदी दिवस विशेष)…
उदित कर सके जन-मन में,
विश्व-हित सार्थक विचार
मेरी हिंदी को चाहिए बस,
इसके लिए निर्मल विचार।
यह विश्व आज व्यथित,
अपनी स्थिति पर पीड़ित
जग का रूपान्तरण भी,
अब तुम पर अवलंबित।
तुम बनो प्राण नवयुवकों में,
हो संचारित सुसंस्कृत संस्कार
मेरी हिन्दी को चाहिए बस,
इसके लिए निर्मल व्यवहार…॥
आत्मा के भाव जगाने को,
नव निनाद से हो गुंजित
नवयुग के नायक कार्य करें,
जो देश भक्ति से हो प्रेरित।
तुम बनो चेतना वाणी की,
सब सीमाओं के आर-पार
मेरी हिंदी को चाहिए बस,
इसके लिए निर्मल व्यवहार…॥
कवि रचना इतनी हो प्रगाढ़,
जन मानवता का करे निर्माण
ज्योतित करे जन-मन अंधकार,
खोले मानव उर के नि:शब्द द्वार।
जयशंकर, पंथ, निराला-सा,
उसमें हो कोई पंथ-सार
मेरी हिंदी को चाहिए बस,
इसके लिए निर्मल व्यवहार…॥
झंकृत भविष्य का सत्य करो,
तुम एक भाव से हो पुलकित
नित बनो मनोबल लोगों का,
जाग्रत हो शाश्वत घट विलसित।
ऊषा की आभा का प्रसार,
आलोकित हो जैसे प्रभात
मेरी हिंदी को चाहिए बस,
इसके लिए निर्मल व्यवहार…॥
ममता मेरी अभिमान मेरा,
ये हिंदी हिन्दुस्तान नाम
हिंदी में ही उत्थान-पतन,
हिंदी में ही सब प्रणय गान।
रस, छंद, अलंकारों से कवि,
करते इसका अनुपम श्रृंगार।
मेरी हिंदी को चाहिए बस,
इसके लिए निर्मल व्यवहार…॥