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युगों-युगों तक रहे ये शान

अल्पा मेहता ‘एक एहसास’
राजकोट (गुजरात)
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७५ बरस की आजादी का अमृत और हम सपर्धा विशेष….

माँ भारती को मिली स्वतंत्रता,
ये हमारे देश की शान है
युगों-युगों तक रहे ये शान,
ये हर देशवासी का अरमान है।

ऐनक ओर छड़ी विश्व में,
गांधीजी की सदा रहे अमर
सरदार वल्लभजी का,
रहे अनुशाशन अमर
श्री सुभाष चंद्र बोस की खुमारी का,
नहीं कोई जोड़ इन सभी क्रांतिकारियों का।

बहे रक्त जो भी घावों के,
लड़ते रहे जो गद्दारों से
इन घावों मे असल मल्हम,
अब महोत्सव मना के लगाना है।

एक-एक कतरा लहू का जो टपका,
हर कतरे का हिसाब लगाना है
प्रान्त-प्रान्त,नात-जात को मिला के,
जश्न में शामिल होकर
सारे जख्म को भुलाना है।

बढ़ती रही कामयाबी,
बरसों-बरस शिखर सर करती रही
संचालन में नए उत्कर्षों से,
देश मे थोड़ी-सी खलबली मचती रही।

पर दूरन्देशी मोदी जी का,
ज्ञान बहुत विशाल है
लायाहै देश को अग्र स्थान पर,
बहुत संघर्ष को झेला है।

व्यापारी सूझ-बूझ को गति देकर,
देश को विश्व में स्थान दिलाया है
जहां भी जाओ विश्व में,
भारत का रुतबा बढ़ाया है।

चलो मनाते हैं जश्न,
शूरवीरों को याद कर कर।
हर उस माँ को प्रणाम कर,
जिन्होंने अपने सपूत को गंवाया है॥

परिचय-अल्पा मेहता का जन्म स्थल राजकोट (गुजरात)है। वर्तमान में राजकोट में ही बसेरा है। इनकी शिक्षा बी.कॉम. है। लेखन में ‘एक एहसास’ उपनाम से पहचान रखने वाली श्रीमती मेहता की लेखन प्रवृत्ति काव्य,वार्ता व आलेख है। आपकी किताब अल्पा ‘एहसास’ प्रकाशित हो चुकी है,तो कई रचना दैनिक अख़बार एवं पत्रिकाओं सहित अंतरजाल पर भी हैं। वर्ल्ड बुक ऑफ़ टेलेंट रिकॉर्ड सहित मोस्ट संवेदनशील कवियित्री,गोल्ड स्टार बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड एवं इंडि जीनियस वर्ल्ड रिकॉर्ड आदि सम्मान आपकी उपलब्धि हैं। आपको गायन का शौक है।

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