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“राह पर चलना ही नहीं, राह बनाना भी सीखो… “

इंदौर (मप्र)।

श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इन्दौर के साप्ताहिक कार्यक्रम ‘सृजन विविधा’ में रचनाकारों ने समाज, प्रकृति और आध्यात्म पर अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। अध्यक्षता प्रकाशन मंत्री अनिल भोजे ने की।
सर्वप्रथम वरिष्ठ साहित्यकार शशिकांत भट्ट ने रचना प्रस्तुत करते हुए कहा ‘आदमी आज आजाद कहाँ है…’ तो किशोर यादव ने वर्तमान समय में राजनीति के क्षेत्र में हो रही उठा-पटक पर व्यंग्य रचना पढ़ी। जगदीश अवस्थी ने ‘हिन्दी को अखिल विश्व में पहुंचाना है’, सुभाष गौरव ने ‘मानव ने मानव को छला’ सामाजिक परिस्थितियों पर, सुब्रतो बोस ने ‘बादलों से बातें करते तो मिट्टी से मोहब्बत है’ मधुर गीत, और दिनेश तिवारी की कविता ‘मुझे सख्त नफरत है देशद्रोहियों से’ प्रस्तुत की तो नयन राठी ने बाल साहित्य पर रचना पढ़ी। डाॅ. आरती दुबे ने कविता में कहा “राह पर चलना ही नहीं, राह बनाना भी सीखो।”
संचालन कर रहे प्रचार मंत्री हरेराम वाजपेयी ने ‘कैसे मैं लौट जाऊं बीच राह से, उस मोड़ पर खड़ा मेरा इंतजार कर रहा है…’ के माध्यम से हर परिस्थिति में चलते रहने का संदेश दिया। आभार परीक्षा मंत्री उमेश पारीक ने व्यक्त किया।