ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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सम्भल जाइए ऐ हुजूर,
पहचानिए वक्त की नजाकत को
खुदा कसम टिक न पाओगे,
आईने के सामने।
बयां करेगा हर वो लम्हा,
अय्याशी में जो तूने गुजारे
ऐसा तूफान आएगा जीवन में
बेनकाब हो जाओगे,
जमाने के सामने।
कैसे सँभालोगे अपने-आपको!
जब मांगेगा हिसाब
गुजरा हुआ एक-एक पल,
ऐ मुसाफिर बेजुबां हो जाओगे
अपनों के सामने।
यादों में बीतेगा वो पल,
जब बीवी का न साथ होगा
बच्चे भी लेंगे मुँह फेर,
टूट कर बिखर जाओगे
कर्मों के सामने।
अपना-पराया कोई न होगा,
कर्मों के व्यापार में
जो बोया, सो ही पाएगा,
ये रीत समझ सँसार में।
पाप कभी भी छिप नहीं सकता,
ईश्वर के सामने॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।